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बच्चों के साथ-साथ प्रशासन भी है शायद अज्ञान

 

ग्वालियर : झाँसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध रानी लक्ष्मी बाई ने अपने साहस के बल से न जाने कितने राजाओं को हार की धूल चटाई है। रानी लक्ष्मी बाई एक ऐसी महिला हैं जिन्होनें अपने साहसी कामों से ने सिर्फ इतिहास रच दिया बल्कि तमाम महिलाओं के मन में एक साहसी ऊर्जा का संचार भी किया है। 
वैसे तो लक्ष्मी बाई को बहुत साहसी बताया जाता है लेकिन शिलालेख बोर्ड के अनुसार उनको अंग्रेजों का मित्र बताया जाता था। रानी लक्ष्मी बाई के जीवन परिचय में बच्चों को गलत जानकारी दी जाती थी। आखिरकार यह बात इतिहास की है तो बच्चों को भी क्या ही पता था की वो जो कुछ पढ़ रहे हैं वो सही है या गलत। बच्चे तो वही याद करंगे जो उन्हें पढ़ाया जाएगा। 
रानी लक्ष्मी बाई के जीवन परिचय की गलत जानकारी पर इतिहासकारों और हिन्दू सेना ने आपत्ति जताई और रानी लक्ष्मी बाई के लिए न्याय मांगा।हिन्दू सेना और इतिहासकारों के इतने विरोध के बाद यह फैसला लिया गया कि शिलालेख बोर्ड हटाकर नया बोर्ड लगाया जायेगा।
शासन प्रशासन पर कई सवाल उठाये जा रहे हैं कहा जा रहा है की वो रानी लक्ष्मी बाई जिनको साहस की देवी कहा जाता है, जिनकी कविता सुनके सब बड़े हुए हैं, उनको अंग्रेजो का मित्र बताया जा रहा है तो ये प्रशासन क्या कर रहा है। सवाल तो ये उठता है कि क्या ये प्रशासन भी बच्चों की तरह अज्ञान है या हमारा प्रशासन कुछ करना ही नहीं चाहता। बहुत शर्म की बात है ये हमारे लिए कि इस देश की झाँसी की रानी को अंग्रेजो का मित्र बताया जा रहा है। 
हालांकि अब तो शिलालेख बोर्ड की जगह नया बोर्ड लगाया गया है जिसमें उनका सही जीवन परिचय दिया जाएगा। बहरहाल यह देखना काफी दिलचस्प होगा की शिलालेख बोर्ड के प्रशासन को सजा कब मिलेगी क्यूंकि सिर्फ बोर्ड बदल देने से कुछ नहीं होगा।   

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