बरघाट:- नगरपरिषद द्वारा निकाले गए नवयुवक सफाई कर्मी की आर्थिक तंगी के चलते मौत, जिम्मेदार कौन :आम आदमी पार्टी

बरघाट:- नगरपरिषद द्वारा निकाले गए नवयुवक सफाई कर्मी की आर्थिक तंगी के चलते मौत, जिम्मेदार कौन :आम आदमी पार्टी

समर्थन में आये कार्यरत सफाईकर्मी काम बंद हड़ताल शुरू

बरघाट /महेंद्र सिंघ नायक:-  बरघाट नगर परिषद से निकाले गए 48 सफाई कर्मचारियों में से आज एक युवा सफाईकर्मी  जित्तू कोडोपे वार्ड नंबर 06 की बीती रात्रि मौत हो गई  तंगी बदहाली पैसों की कमी के चलते मानसिक रूप से परेशान था आर्थिक तंगी के चलते पिछले दिनों ही कुएं में जान देने की भी कोशिश की थी जिसकी सूचना प्रत्यक्ष दर्शियों द्वारा  हनरेड़ डायल के माध्यम से  सुुुचना  पर बरघाट पुलिस  द्वारा  बयान  पंजीबद्व कराये जाने की खबर मिल रही है स्मरण हो कि मृतक को  विगत माह कोरोना जैसी महामारी के संकट काल के समय नगर परिषद बरघाट द्वारा 48 सफाईकर्मियों के साथ ही  सेवा समाप्त करते हुए काम से निकाल दिया गया था जिसके बाद सभी सफाई कर्मी परिषद के सामने ही सभा मंच पर धरने पर बैठ गए थे जिनके समर्थन में कइयों राजनीतिक दल के लोगों का समर्थन मिला था यहाँ तक कि सत्ताधारी भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने भी हड़ताल स्थल पहुँच कर उक्त सफाईकर्मियों की मांग का समर्थन किया था  बाबजूद जब दो सप्ताह का समय पूर्ण होते ही प्रशासन  द्वारा कोई सुध नही लेने पर एक कर्मचारी इमरान अनिश्चित कालीन आमरण अनशन में चला गया था जिसका पूरा सप्ताह से ज्यादा समय अनशन के कारण स्वास्थ्य बिगड़ते ही प्रशासन हरकत में आया और एक माह के मौखिक आश्वासन पर सफाईकर्मियों से जबरन हड़ताल वापस लिए जाने का दबाब पर आंशिक माँगे मानते हुए अनशन तुड़वाया गया ।

            इसी घटनाक्रम के चलते रोजगार नही मिलने से कर्मचारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है इसके पूर्व भी मुकेश भीमगड़े के पिता जी श्री सीताराम भीमगड़े का भी 17 अक्टूबर को उपचार के लिए पैसा समय पर नही होने से वंचित रह जाने  के कारण मौत हो गई ।

उक्त सूचना के आग की तरह फैलते ही उक्त घटनाओं से आक्रोशित नगर परिषद के सभी सफाई कर्मियों ने आज से ही निकाले गए उक्त सफाई कर्मियों के समर्थन में पुनः सेवा में नही लिए जाने तक काम बंद हड़ताल शुरू कर दी है उक्त जानकारी आम आदमी पार्टी बरघाट के प्रभारी नगर अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर द्वारा जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति

में दी है और प्रशासन की हठधर्मिता  को उक्त मौत का जिम्मेदार ठहराया है। तथा भारतीय जनता पार्टी को गरीबों की विरोधी बताया है  और यही कारण है कि भाजपा के कोई जनप्रतिनिधि गरीबों की सुध नहीं ली और ना ले रहे है 48 सफाई कर्मियों को निकाले जाने से परिवार में आर्थिक स्थिति बिगड़ गई जिसका उक्त परिणाम सामनें है आखिर सत्ता धारी भाजपा सरकार और उसके जनप्रतिनिधि कितनी जाने लेने के बाद कुंभकर्णीय नींद से जागेगे।

     भारतीय जनता पार्टी एवं शासन प्रशासन के पास इसका कोई जवाब है ?  48 सफाई कर्मी आर्थिक तंगी के चलते अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे तथा वर्तमान में दीवाली का  त्यौहार कैसे मनाएंगे जनप्रतिनिधि होने के नाते क्या इन निकाले गए सफाई कर्मियों के परिवार की खोज खबर लेंगे क्योंकि पप्पू सरोते जैसे अन्य सफाईकर्मी भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है ।

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