Indore : सात घंटे तक एक अस्पताल से दुसरे अस्पताल पिता को लेकर घूमता रहा ,बाद में मिला इलाज़ तो ……..
Indore News ,Gautam Kumar
इंदौर में कोरोना से तो लोग त्रस्त है ही एक और चीज है जो लोगों कि जान लेने पर उतारू है और वह है शहर कि लचर स्वास्थय व्यवस्था। प्रदेश के पास न तो प्रयाप्त अस्पताल हैं न बेड। इसी कारण आज एक बेटे के सामने उसके पिता कोमा में चले गए और वह भटकता रह गया। जब तक इलाज़ मिला तब तक काफी देर हो चुकी थी।
क्या हुआ था
कोरोना वायरस के मद्देनज़र शहर के अस्पतालों को रेड,येलो और ग्रीन केटेगरी में बांटा गया है। इसके बावजूद अस्पतालों की मनमानी जारी है। माणिकबाग निवासी रेडीमेड कपड़ा व्यवसायी राजेश सेजवाणी के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक के चलते वे अपने 64 वर्षीय पिता खेमचंद को लेकर अस्पतालों में भटकते रहे। पहले उन्हें एपल अस्पताल लेकर गए।यहाँ उन्हें दो घंटे बैठाकर सिर्फ एक्सरे किया गया। यहाँ डॉक्टरों ने उनकी रिपोर्ट देखकर उन्हें कोरोना संदिग्ध बता दिया और येलो केटेगरी अस्पताल जाने को कहा। इसके बाद ये लोग सुयश अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने जांच के कागजात देखकर कहा कि हमारे यहां ब्रेन स्ट्रोक का इलाज नहीं होता, यहां कोरोना संदिग्ध का उपचार हो रहा है। बहुत ना-नुकुर करने पर भी उन्होंने विशेष अस्पताल जाने के लिए कहा। वहां पहुंचे तो कहा गया कि अस्पताल में एक भी बिस्तर खाली नहीं है। इन्हें गोकुलदास अस्पताल ले जाएं। इस दौड़-भाग में करीब पांच घंटे निकल चुके थे।
एक ने बताया कोरोना संदिग्ध दुसरे ने मना किया
राजेश ने बताया कि गोकुलदास अस्पताल में डॉक्टरों ने ऑक्सीजन सप्लाई और बुखार चेक करते हुए कहा कि मरीज को शून्य प्रतिशत भी कोरोना की आशंका नहीं है। यहां कोरोना के 70 संदिग्ध मरीज हैं और आपके पिता की उम्र को देखते हुए इनके साथ रखना खतरनाक है। इन्हें आप ग्रीन कैटेगरी के अस्पताल लेकर जाएं। इसके बाद जैसे-तैसे कुछ लोगों के सहयोग से वापस ग्रीन कैटेगरी के सीएचएल अस्पताल में भर्ती किया गया। भर्ती करने से पहले एक बार फिर स्क्रीनिंग सहित सभी परीक्षण दोबारा हुए।
इतनी भागदौड़ के बावजूद उनके पिता अभी कौमा में हैं। कब होश आएगा कोई अता-पता नहीं। किसकी वजह से डॉक्टरों और स्वास्थय विभाग कि गलती से। राजेश ने इन्सबसे हताश होकर कहा कि मेरे पास पैसे और सुविधा सब है तब तो जाकर यह स्थिति है। जिनके पास यह सब नहीं है उनकी क्या दशा होगी।