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भोपाल में धूम धाम से मनाई जा रही है मुहर्रम

कोरोना के कारण आज लगभग दो सालों के बाद मुहर्रम का जुलूस पूरी भीड़ के साथ निकल रही है।

 

आज मुस्लिम समुदाय द्वारा देश भर में मुहर्रम का त्योहार मनाया जा रहा है। भोपाल में भी कुछ रौनक़ भरी तस्वीरें सामने आयी है।
भोपाल में मोहर्रम की 10 तारीख़ यानी की आज भव्य जुलूस निकल रही है। शिया समुदाय के लोगों में ज़्यादा जोश नज़र आ रहा है।
कोरोना के कारण आज लगभग दो सालों के बाद मुहर्रम का जुलूस पूरी भीड़ के साथ निकल रही है।

पुराने शहर में हर जगह या अली या हुस्सैन के नारों की आवाज़ सुनाई दे रही है। ईरानी समुदाय के लोग काले कपड़े पहन कर मातम मना रहे है और जुलूस निकालने की तैयारी कर रहे है। हालांकि भोपाल में आज सुबह से बारिश हो रही है मगर जुलूस की तैयारी में कोई कमी नहीं नज़र आ रही है।

हज़रत इमाम हुस्सैन की शहादत की याद में बनायी जाती है तज़िया।

मुहर्रम के मौक़े पर हर गली में डंके की आवाज़ तो सुनायी देती ही है साथ में हर गली से निकलती हुई एक तज़िया भी नज़र आती है। तज़िया बनाने की प्रथा के पीछे की कहानी हज़रत इमाम हुस्सैन की शहादत से जुड़ी है। भारत में मुस्लिम समुदाय द्वारा हर साल मुहर्रम में तज़िया बनाया जाता है जिसे मुहर्रम की दसवी तारीख़ यानी अशूरा के दिन जुलूस के साथ करबला तक ले जाया जाता है।
तज़िया के रूप में कहीं दुल दुल घोड़ा, कहीं मक्का शरीफ़ तो कहीं मदीना शरीफ़ बनाई जाती है।

पुरानी भोपाल में स्थित करबला पहुचेंगे आज सभी तज़िया

 

पुराने भोपाल में करबला है जहां आज भोपाल की सभी तज़िया को पहुँचाया जाएगा। मातमी जुलूस के साथ लोग अखाड़ा परदर्शन करेंगे और अपने अपने तज़िया को करबला तक पहचाएँगे।

मुहर्रम की 9 और 10 तारीख़ को मुस्लिम समाज के करोड़ों लोग रोज़ा रखते है। शिया समुदाय के लोग फ़ांका करते है और इमाम हुस्सैन की शहादत को याद करते है।

शहर में जगह जगह हो रहा है लंगर का आयोजन।

मुहर्रम के दिन हर इलाक़े से लोग तरह तरह का प्रदर्शन दिखाते है। आज कई जगहों पर लंगर बिठाने का आयोजन किया जा रह है। पुलिस प्रशासन सख्ती से शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए काम रही है।
ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव की गई है, करबला रोड पर बड़ी वाहनों का जाना मना है।

मुहर्रम मनाए जाने के पीछे की कहानी इमाम हुस्सैन की उस जंग से जुड़ी है जिसमें उन्होंने भूखे प्यासे अकेले यज़ीद की सिपाहियों से करबला के मैदान में लड़ा था। उसी में उनकी शहादत भी हो गई थी।

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