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जबलपुर : शर्मनाक – अंतिम संस्कार में भी नगर निगम ने ली रिश्वत ,कोरोना से मरने वाले कैदी के परिजनों ने लगाया आरोप 

जबलपुर : शर्मनाक – अंतिम संस्कार में भी नगर निगम ने ली रिश्वत ,कोरोना से मरने वाले कैदी के परिजनों ने लगाया आरोप 

  • कटनी जेल से इलाज के लिए मेडिकल लाया गया था कैदी को 
  • पीडि़त परिवार ने आरोप लगाए कि अंतिम संस्कार के लिए मांगे  2800 रूपये 
  • चौहानी श्मशानघाट में अंतिम संस्कार के लिए निगम की तरफ से तैनात हैं कर्मी

द लोकनीति डेस्क जबलपुर 
कोरोना का यह दौर जिसने सभी को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया है। यहां हर जिंदगी की एक क़ीमत अदा करनी पड़ रही है लेकिन सोचिये जब जिंदगी ही नहीं बची तो उसकी क़ीमत उसके अंतिम संस्कार में कैसे ले सकते है। ताज़ा मामला जबलपुर ज़िले के चौहानी श्मशानघाट का है जहां कटनी जेल से आये हुए कैदी की मेडिकल में कोरोना से मौत हो गई। जहां कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उसका अंतिम संस्कार किया जाना था। 

परिजनों के आरोप 
कोरोना संक्रमित कैदी की मौत के बाद परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए पैसे देने पड़े। परिजनों ने आर्थिक स्थिति का हवाला दिया। तब हजार रुपए वापस किए गए। कोरोना संक्रमित मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम की तरफ से चौहानी श्मशान घाट पर कर्मियों को तैनात किया गया है। पीडि़त परिवार ने आरोप लगाए कि अंतिम संस्कार के लिए कुल 2800 रुपए की मांग की गई थी।

कटनी जेल से मेडिकल लाया गया था कैदी

बंदी-कटनी जिले के ढीमरखेड़ा अंतर्गत इटौली निवासी रामदास (45) बलात्कार के मामले में कटनी जेल में बंद था। बुधवार को पेट दर्द होने पर उसे कटनी जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां हालत बिगडऩे पर रात में ही मेडिकल रेफर कर दिया गया। जेल की तरफ से उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल जबलपुर में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उसकी देर रात मौत हो गई। परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। जेल प्रशासन की सूचना पर पत्नी संगीता राजभर गुरुवार को मेडिकल पहुंची। वहां बंदी रक्षक रामदास का शव सुपुर्द कर चलते बने।

आर्थिक हालात पर भी नहीं पिघले

कोरोना संक्रमित रामदास का शव गढ़ा चौहानी स्थित श्मशान घाट ले जाया गया। आर्थिक रूप से परेशान पत्नी संगीता एक-दो रिश्तेदारों के साथ वहां पहुंची थी। पनागर निवासी रिश्तेदार कृष्ण कुमार राजभर के आरोप हैं कि वहां निगम की तरफ से तैनात कर्मियों ने 2800 रुपए अंतिम संस्कार के एवज में मांगे। बताया कि लकड़ी से लेकर पूरी सामग्री खरीदनी पड़ती है। परिवार की मजबूरी सुनकर भी 1600 रुपए ऐंठ लिए।परिवार के पास लौटने तक के पैसे नहीं बचे थे। इसी बीच वहां मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर पहुंचे। तब जाकर निगम कर्मियों ने हजार रुपए वापस किए।

कोरोना संक्रमित कैदी की मौत और अंतिम संस्कार के लिए पैसे की मांग की जानकारी मुझे नहीं है। अंतिम संस्कार के लिए दर तय हैं। पर गरीबों के लिए नि:शुल्क सुविधा प्रदान करने का निर्देश है। मैं मामले की जांच कराऊंगा। –
भूपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

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