मध्य प्रदेश की सुधरती स्वास्थ्य व्यवस्था और जिला अस्पताल में 8 बच्चों की मौत या तो सरकार झूठी या उनके दावे
- सतना के बाद अब शहडोल में बच्चों की मौत
- जांच के दिए गए आदेश
Bhopal News |गौतम :- कल की हीं बात है कि सतना में टीकाकरण के बाद दो मासूमो की मौत हो गयी थी। ऐसा हीं एक मामला शहडोल से भी आया है। शहडोल जिला अस्पताल में बीती रात 6 मासूमों की मौत हो गयी।
किसी भी राज्य को सर्वश्रेठ तीन चीज़ें बनाती हैं। उस राज्य की श्रेष्ठ स्वास्थ्य व्यवस्था , शिक्षा व्यवस्था और आर्थिक व्यवस्था। वर्तमान में मध्यप्रदेश इन तीनो में पिछड़ता नज़र आ रहा है। आपको याद हो तो कांग्रेस ने अपने कार्यकाल शुरू करने के तुरंत बाद बजट पेश किया था और उसमें जोर देकर एक बात कही गयी थी कि स्वास्थय और शिक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। एक रिपोर्ट की माने तो मध्यप्रदेश शिक्षा व्यवस्था को लेकर 20वे स्थान पर है। और अर्थव्यस्था का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कमलनाथ सरकार ने 1000 करोड़ रूपये का क़र्ज़ माँगा है। रही स्वास्थय की बात तो यह खबर पढ़कर आपको वह भी समझ में आ हीं गई होगी।
दावों की खुलती पोल
कांग्रेस ने अपने पहले बजट में कहा था कि स्वास्थ और शिक्षा व्यवस्था की सुधार उनकी पहली ज़िम्मेदारी है। पर पिछले दो दिनों में लगातार हुई घटनाओं से यह तो साफ़ हो गया है कि वह कितनी ज़िम्मेदारी से अपने वादों को निभा रहे हैं। बीती रात शहडोल जिला अस्पताल में 6 बच्चों की एक साथ मौत हो गई। इन बच्चो के नाम चैतकुमारी , फूलमती , श्यामनारायण , सूरज , अंजलि और सुभाष हैं। जानकारी के अनुसार यह बच्चे विभिन्न वार्डों में अलग अलग कारणों से भर्ती थे। बच्चो की उम्र और बिमारी का खुलासा अभी नहीं हो पाया है। लगातार दो दिनों में दो बड़ी घटनाओं ने सरकार के झूठे दावों की पोल तो खोल हीं दी है साथ-साथ उनकी मंशा पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं।
अधिकारियों के हाथ पाँव फूले
जब सम्बंधित अधिकारियों से इस मामले के बारे में सवाल किया गया तो वो बंगले झाँकने लगे। CMHO डॉ राजेश पांडेय ने इस मामले में पत्रकारों को बताया कि 6 में से 2 बच्चे वेंटीलेटर पर थे और एक गंभीर था जिसे बचाने का प्रयास किया जा रहा था। वहीँ 3 और बच्चे निमोनिया से पीड़ित थे जिन्हे उमरिया से यहाँ रेफर किया गया था। उन्होंने शुरूआती जांच का हवाला देते हुए कहा कि यह लापरवाही का मामला प्रतीत होता है। आप ही अंदाजा लगाइये कि आपके डॉक्टर इतने लापरवाह हैं कि एक छोटे से रोग को वह नहीं संभाल पाए।
जांच के आदेश
इधर स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट ने सम्बंधित जिला कलेक्टरों और मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारीयों को इस मामले में जानकघ के आदेश दे दिए हैं। पर इससे न तो वह बच्चे आएंगे न आपकी स्वस्थ्य सेवाएं सुधरेंगी।