एमपी में कोरोना, ब्लैक फंगस, डेंगू के बाद अब स्क्रब टाइफस बीमारी ने दी दस्तक, जबलपुर में किशोर की मौत
- जबलपुर में कोरोना के साथ-साथ डेंगू अनियंत्रित
- मेडिकल अस्पताल में नई बीमारी स्क्रब टाइम्स की हुई पुष्टि
- एमपी में स्क्रब टाइम्स बीमारी से किशोर की मौत
जबलपुर/प्रियंक केशरवानी :- मध्यप्रदेश में कोरोना, ब्लैक फंगस, डेंगू के बाद अब एक और नई बीमारी स्क्रब टाइफस ने दस्तक दे दी है, वह भी ऐसे वक्त में जब कोरोना का संकट टला नहीं है, इसके मरीजों की संख्या एक बार फिर जबलपुर सहित प्रदेश के अन्य दो जिलों में बढ़ रही है. स्क्रब टाइफस नामक नई बीमारी की पुष्टि जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में हुई है जहां पर रायसेन के एक 6 वर्षीय बालक भूपेन्द्र नोरिया की मौत हुई है. यह बुखार ठंड के साथ शुरु होता है जो बिगडऩे पर निमोनिया, इंसेफलाइटिस या कोमा की स्थिति में पहुंचा देता है।
जबलपुर मेडिकल अस्पताल में स्क्रब टाइम्स नई बीमारी से पहली मौत
बताया गया है कि जबलपुर के मेडिकल अस्पताल में पिछले दिनों पिछले वर्ष आसपास जिलों के कुछ मरीज आए थे, लेकिन हाल ही में रायसेन निवासी भूपेन्द्र नोरिया नामक बालक को तेज बुखार के कारण परिजनों ने भरती कराया गया था, जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई. बालक की मौत के बाद स्क्रब टाइफस नामक बीमारी की पुष्टि हुई है. इस बीमारी में पहले ऐसा लगता है कि वायरल फीवर है, इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो सिर दर्द, मांसपेशियो में दर्द होने लगता है, धीरे धीरे शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित करने लगती है जो मौत का कारण भी बन जाते है. डाक्टरों का कहना है कि यह बीमारी रिकेटसिया नामक जीवाणु से फैलती है जो पिस्सुओं में पाया जाता है, पिस्सू के काटने से जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाता है।
इस बीमारी की कैसे करें पहचान
स्क्रब नमक इस नई बीमारी में तेज बुखार आना, शरीर पर चकत्ते पडऩा, शरीर के नर्वस सिस्टम हार्ट, गुर्दे, श्वांस नली, पाचन प्रणाली को प्रभावित करता है, इस बीमारी को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि जुलाई से अक्टूबर के बीच बीमारी का असर ज्यादा दिखाई देता है. डाक्टरों का कहना है कि बीमारी से बचने के लिए घर के आसपास झाडिय़ां न उगने दें, हमेशा साफ व फुल कपड़े पहने, आसपास जलभराव न होने दिया जाए. डाक्टरों की माने तो यह बीमारी सामान्यत: ठंडे व पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा होती रही, सामान्य मामलों में बीमारी के लक्षण बिना इलाज के ही 10 से 15 दिन में गायब हो जाते है, लेकिन वैक्टीरिया का पता लगने पर खून की जांच के साथ साथ अन्य जांच कराना भी जरुरी है. बीमारी से बचने के लिए अलग से कोई टीका नहीं है पीडि़त को एंटीबायोटिक डाक्सीसाइक्लिन ही दी जाती है, शुरुआत में डाक्सीसाइक्लिन से इलाज कराने से ही मरीज स्वस्थ हो जाते है।