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आयकर विभाग के छापे में 4 आईपीएस 3 आईएएस भी शामिल

भोपाल,आयुषी जैन/बीते 2 दिनों से भोपाल एवं इंदौर में फेथ बिल्डर्स के करीब 10 ठिकानों पर आयकर विभाग का सबसे बड़ा छापा मारा गया है जिस पर लगभग 1000 करोड़ से भी ज्यादा की बेनामी संपत्तियों का खुलासा होने के चांसेस हैं,

प्राप्त जानकारी के अनुसार रेड के दौरान मध्य प्रदेश के करीब 4 आईपीएस 3 आईएएस व अन्य नेताओं के नाम जुड़े हुए सामने आए हैं..

लगभग 6 माह पहले मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोटस के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त में राघवेंद्र सिंह की अहम भूमिका रही थी खबर है कि श्वेत बिल्डर्स के प्रोजेक्ट में जांच एजेंसी के एक अधिकारी और प्रदेश के एक सीनियर आईपीएस जो फिलहाल दिल्ली में है काफी फ्लैट है.. जानकारी के मुताबिक छापे के दौरान मंत्री अरविंद भदोरिया और होशंगाबाद एसपी भी वहां आए थे.. सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया  संघी है, उन्हें आर एस एस ने विद्यार्थी परिषद में बड़े पद देकर आगे बढ़ाया था और राष्ट्रीय किसान मोर्चा में भाजपा का पद दीदार पदाधिकारी भी बनाया था, सूत्र बताते हैं कि राजपूत समाज के 3 बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स में इन्होंने मोटा इन्वेस्टमेंट किया है..

इनकम टैक्स के छापों से सुर्खियों में आए फेथ बिल्डर्स के मालिक राघवेंद्र सिंह तोमर रातीबड़ में फेथ क्रिकेट एकेडमी की जानकारियां छुपाई जो उस पर भारी पड़ी अपने आईटी रिटर्न में तोमर ने इस एकेडमी के लिए जुटाए गए धन का स्रोत ठीक नहीं बताया इसके बाद राघवेंद्र के खिलाफ कुछ अन्य अज्ञात लोगों ने ई डी में शिकायत की इसके पश्चात आयकर विभाग ने जांच की और छापा मारा तोमर और उसके साथियों पर आईडी की कार्रवाई दूसरे दिन आज भी भोपाल में जारी है फिर क्रिकेट क्लब की कीमत लगभग डेढ़ सौ करोड़ है विभाग की जांच में तोमर के दूसरे धंधों के साथ क्रिकेट क्लब के खर्च और इनकम की भी पड़ताल की गई..

आयकर विभाग के द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि पियूष गुप्ता ने पिछले 5 से 7 साल में लगभग 500 करोड़ की संपत्ति बनाई है सवाल यह उठता है कि इतना पैसा कहां से आया छापा मारने से पहले ही आयकर विभाग के पास पियूष गुप्ता और उनसे जुड़ी 18 फर्मों कंपनियों के संचालक पार्टनर की संपत्ति की पूरी जानकारी थी उनके पत्ते मोबाइल नंबर और पैन कार्ड नंबर तक आयकर के पास मौजूद थे और आयकर विभाग पिछले 4 माह से उनकी गतिविधियों पर आंख लगाए बैठा था.. पीयूष गुप्ता के पास हर माह लगभग 5 करोड रुपए आते थे..

बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के एक डीएसपी का दिमाग इस पूरे घोटाले को उजागर करने के पीछे हैं भोपाल में संपत्तियों की रजिस्ट्री कराने वाले एक वकील के कंप्यूटर से डीएसपी ने इन संपत्तियों की पूरी डिटेल लेकर दिल्ली में आईडी में शिकायत कराई थी ईडी की छुट्टी के बाद आयकर में जब जांच शुरू की तो एक के बाद एक राज खुलते गए जानकारी के मुताबिक संपत्ति खरीदने वाले 5 लोगों का रजिस्ट्री के दौरान वकील से विवाद हुआ था जिसकी वजह से वकील ने सारे दस्तावेज डीएसपी को उपलब्ध करा दिए..

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