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इंसानों की भूख बढ़ी: धरती का दोहन सालाना 10 हजार करोड़ टन हुआ पार

नई दिल्ली: इंसानों का उपभोग और धरती से प्राप्त पदार्थों की बर्बादी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। इंसानों का उपभोग इतना बढ़ गया है कि धरती खतरे में पड़ गयी है। सम्पूर्ण मानव द्वारा उपभोग की जाने वाली सामग्री लगभग 10 हजार करोड़ टन सालाना पहुंच गयी है। अगर हम प्रति व्यक्ति उपभोग की बात करें, तो यह आंकड़ा 13 टन का है। विश्व के जाने माने थिंक टैंक सर्किल इकोनॉमी की वैश्विक सर्कुलैरटी गैप रिपोर्ट के अनुसार रिकॉर्ड खपत के वावजूद रिसाइक्लिंग का अनुपात लगातार गिर रहा है। यह खपत 1970 के मुकाबले 4 गुना ज्यादा है लेकिन इस दौरान दुनिया की आबादी सिर्फ 2 गुना ही बढ़ी है। अगर हम बात इन 2 वर्षों की करें, तो 8% की वृद्धि दर्ज की गयी है। धरती से जीवाश्म ईंधन, धातुओं, निर्माण सामग्री और पेड़ो के दोहन से जलवायु और वन्यजीवों को आपातकाल का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार धरती के संसाधनों को असीमित समझने की वजह से हम वैश्विक आपदा की ओर बढ़ते जा रहे हैं। संसाधनों का जितना दोहन होता है उसका मात्र 8.6% ही पुनर्नवीनीकरण हो पाता है।

पदार्थों का उपभोग (आंकड़े करोड़ टन में )-

जीवाश्म ईंधन         खनिज पदार्थ       अयस्क       फसल एवं पेड़
    1510                      870              1010            2460

इनमें से खपत-

भोजन पर       परिवहन पर     निर्माण पर     उपभोक्ता बस्तुओं पर     
   2130             870              3880                   690                    

 स्वास्थ्य पर    सेवा क्षेत्र पर    संचार पर
  930               1000            560    
         

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