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तेज़ बुखार में किया 40 किमी का सफर तय, जानिए क्या रही होगी इस वृद्धा की मजबूरी जो उम्र में है 100 वर्ष से अधिक

तेज़ बुखार में किया 40 किमी का सफर तय, जानिए क्या रही होगी इस वृद्धा की मजबूरी जो उम्र में है 100 वर्ष से अधिक 

मात्र 600 रूपये की पेंशन के लिए जब एक 100 वर्ष से अधिक उम्र की वृद्धा तेज़ बुखार और तपते बदन के साथ बैंक पहुंची तो वह मौजूद सभी लोग भौंचक्के रह गए.  40 किमी के सफर को बीमारी की स्थिति में तय करना शायद सभी के बस की बात नहीं होगी लेकिन गरीबी और बेबसी के आगे मजबूर 100 साल से ज्यादा उम्र की सुखिया बाई के लिए उनके स्वास्थ से ज़्यादा ज़रूरी उनकी 600 रूपये की पेंशन थी, इसीलिए वह 20 किमी का सफर तय करकर पठारी कला से  उमरिया आयीं और अपनी पेंशन लेकर 20 किमी वापस भी गईं।  बुखार की वजह से सुखिया बाई का शरीर काफी तप रहा था लेकिन फिर भी उन्होंने मोटरसाइकिल से 40 किमी का सफर अपने बेटे सेम्मू बैगा के साथ तय किया. 

दरअसल पठारी कला निवासी सुखिया बाई पति स्व. भैयालाल  बैगा की उम्र 100 वर्ष से अधिक हो चुकी है. घर की आर्थिक स्थिति ज़्यादा अच्छी न होने की वजह से परिवारजन भी परेशान रहते हैं.  सुखिया बाई के बेटे जिनकी खुद की उम्र 70 वर्ष के आसपास है बताते हैं कि उनके गॉँव में कियोस्क बैंक तो है लेकिन सुखिया बाई का अंगूठा लगाने पर भी  उस बैंक में उनका खाता नहीं दिखती है जिसकी वजह से पैसे मिलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.  और इसी वजह से पिछले कई समय की पेंशन सुखिया बाई को नहीं मिल पाई थी. पैसों की अधिक आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी माँ को लेकर  600 रूपये की पेंशन लेने के लिए पठारी कला से उमरिया पहुंचे और वहां से पेंशन लेकर वापिस पठारी कला गए. सुखिया बाई से बात करने पर उन्होंने बोला कि फोटो खींचकर कुछ ऐसा कर दीजिये कि पेंशन गांव में ही मिल जाये और उन्हें शहर न आना पड़े.  तो वहीँ लीड बैंक प्रबंधक चंद्रशेखर रूसिया कहते हैं कि, “काम  करने के कारण गांव के लोगों की उँगलियाँ घिस जाती है जिसकी वजह से बायोमेट्रिक प्रक्रिया के दौरान ऊँगली या अंगूठा लगाने में दिक्कत आती है. और इसकी वजह से ही लोगों को यहाँ खुद आना पड़ता है क्यूंकि वह इसमें कुछ नहीं कर सकते है.” 

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