Sidhi : प्रमुख कार्यालयों मे रोजाना आती हैं सैकड़ो महिलाएं, स्तनपान कराने की नहीं है कोई व्यवस्था
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महिलाओं को सार्वजनिक स्थल पर अपने दुधमुंहे बच्चों को स्तनपान कराने में असहजता महसूस होती है, जिसको ध्यान मे रखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने वर्ष भर पूर्व सभी जिलों के कलेक्टरों को सार्वजनिक स्थलों पर आंचल कक्ष निर्माण करने के निर्देश दिए थे। लेकिन जिले में आज तक यह आंचल कक्ष नहीं बनाए गए हैं। विभाग ने इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से आंचल कक्ष की जमीनी हकीकत मांगी है, जिसका गोलमोल जवाब देते हुए बजट के अभाव का रोना रोया जा रहा है।
एक साल पहले ही बनना था
उल्लेखनीय है कि विभाग को एक अध्ययन के दौरान पता चला कि जो महिलाएं अक्सर सफर में रहती हैं, वह अपने बच्चों को शर्म के चलते निर्धारित समय पर स्तनपान नहीं कराती। ऐसी स्थिति में बच्चा ज्यादातर भूंखा रहता है और कुपोषण का शिकार हो जाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए विभाग ने वर्ष भर पूर्व सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा था कि वह अपने स्तर पर प्रयास कर बस स्टैंड, रेल्वे स्टेशन, अस्पताल सहित तमाम शासकीय कार्यालयों व सार्वजनिक स्थलों पर आंचल कक्ष निर्माण कराएं। उस कक्ष में महिलाओं के बैठने के लिए उचित इंतजाम कर साफ-सफाई की ब्यवस्था की जाए, ताकि वहां पर महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान करा सकें। विभाग के आदेश के बावजूद आज तक सीधी जिलें मे कलेक्ट्रेट के अलावा अन्य कार्यालयों मे आंचल कक्षो की स्थापना नहीं की गई है। इसके अलावा उक्त आंचल कक्षों मे स्पष्ट रूप से लिखा जाना है कि कक्ष मे पुरूषों का प्रवेश वर्जित है।
कहां-कहां करवाना था निर्माण
जिला पंचायत-
जिला पंचायत मे ग्रामीण महिलाओं का रोजाना आना-जाना लगा रहता है, मंगलवार को जनसुनवाई होने के कारण यहां सैकड़ो की संख्या मे महिलाएं पहुंचती हैं, किंतु इस कार्यालय मे आज दिनांक तक आंचल कक्ष निर्धारित करना उचित नहीं समझा गया। जबकि कार्यालय मे कई कमरे खाली पड़े हुए हैं, जहां आंचल कक्ष के रूप मे निर्धारित किया जा सकता है, किंतु मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा जिला पंचायत मे आंचल कक्ष निर्धारित करना उचित नहीं समझा जा रहा है।
जिला अस्पताल-
जिला अस्पताल सबसे बड़ा सार्वजनिक स्थल माना जाता है। जहां रोजाना कई औरतों का आना-जाना व कई महिलाएं बीमार होने पर या अपने परिजनों के बीमार होने पर ठहरती हैं, इसके साथ ही प्रसूता महिलाएं भी थोक के भाव मे भर्ती रहती हैं। जहां पूर्व मे अस्पताल के गेट के पास ही एक कमरे मे आंचल कक्ष बनाया गया था, जहां महिलाएं जाकर अपने बच्चे को स्तनपान कराती थी, किंतु विगत चार माह से इस कक्ष से आंचल छीन लिया गया, लगाया गया बोर्ड हटाकर, सुरक्षा गार्डों को कमरा सौंप दिया गया है। जिसके कारण अब महिलाएं संकोच करती हुई खुले मे स्तनपान कराने को मजबूर हैं।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय-
पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी प्रमुख कार्यालयों मे शामिल हैं, जहां महिलाएं अपना फरियाद लेकर पहुंचती हैं, यहां भी आंचल कक्ष की आवश्यकता महसूस की जा रही है। किंतु शासन के निर्देश के बाद भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय मे आंचल कक्ष का निर्माण करना उचित नहीं समझा जा रहा है। जिसके कारण यहां भी महिलाएं पेंड़ व दीवाल की ओट का सहारा लेकर स्तनपान कराने को मजबूर देखी जाती हैं।
सिर्फ कलेक्ट्रेट मे बनाया गया है आंचल कक्ष-
जिला मुख्यालय मे दो दर्जन से ज्यादा शासकीय कार्यालय संचालित हैं, जिसमें से कई कार्यालयों मे महिलाओं का आना-जाना लगा रहता है किंतु सिर्फ कलेक्ट्रेट मे आंचल कक्ष का निर्धारण किया गया है। जिसमें महिलाएं टेबिल पर बैठकर स्तन पान करा सकती हैं। इसके अलावा शेष कार्यालयों मे आंचल कक्ष का निर्माण कराना उचित नहीं समझा जा रहा है।
(संवाददाता गौरव सिंह कि रिपोर्ट)