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नबालिका की मौत के बाद अन्य परिजनों में दहशत, अधिकारियों से पूछा, केस 20 साल चलेगा तो क्या बच्चियां तब तक शेल्टर होम में ही रहेंगी? 

भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – प्यारे मियां यौन शोषण मामले में मृतक नाबालिग बच्ची बालिका गृह में रह रही थी। पुलिस के मुताबिक, उसने कुछ दिनों पहले नींद की गोलियां खा ली थीं। इसके बाद उसे संदिग्ध परिस्थितियों में हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया था, जहां बुधवार रात उनकी मौत हो गई। 

नाबालिग की मौत के बाद पुलिस की निगरानी में उसका भदभदा विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। इस केस में गौर करने वाली ये है कि नाबालिग इस केस की न तो आरोपी थी और न ही अपराधी। वह केवल फरियादी थी। पुलिस नाबालिग के शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे श्मशान ले गई, जबकि मर्चुरी में पीड़िता के चाचा और पिता ने शव घर ले जाने की जिद की। लेकिन, पुलिस नहीं मानी। 

इधर, नाबालिग बच्ची की मौत के बाद उन बच्चियों के परिजन बेहद डर गए हैं, जो अभी भी शेल्टर होम में रह रही हैं। परिजनों ने अधिकारियों से पूछा है कि अगर केस 20 साल चलेगा तो क्या बच्चियां तब तक शेल्टर होम में ही रहेंगी। परिजन अब प्रशासन से अपनी बच्चियों को ले जाने की मिन्नतें कर रहे हैं। 

दरअसल इन पीड़ित बच्चियों के परिजन कलेक्टर, एडीएएम और बाल कल्याण समिति के कार्यालय पहुंचे। हालांकि, कलेक्टर से मुलाकात नहीं हो सकी. परिजनों ने समिति के सदस्यों से पूछा कि बच्चियां कब तक शेल्टर होम में रहंगी? क्या अगर केस लंबा चला तब तक उन्हें वहीं रहना होगा? इसके बाद बाल कल्याण समिति ने शाहपुरा, कोहेफिजा और कमला नगर टीआई व एसपी को पत्र लिखकर पूछा है कि बच्चियों को कब तक प्रोटेक्शन में रखना है? ये बच्चियां 13 जुलाई 2020 से पुलिस प्रोटेक्शन में हैं।

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