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विदिशा : बच्चों की फर्जी आईडी बनाकर स्कूल द्वारा किया गया भ्रष्टाचार, अधिकारी जांच करने को तैयार नहीं

विदिशा से कमलेश जाटव की रिपोर्ट- अक्षिका एकेडमी आनंदपुर द्वारा मृत सीआरसी दीपक श्रीवास्तव की फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने  का मामला सामने आया है। मामला इस प्रकार है कि लटेरी तहसील अंतर्गत ग्राम आनंदपुर के विद्यालय अक्षिका एकेडमी की एक शिकायत कलेक्टर विदिशा को की गई थी। “द लोकनीति”  ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। इस पर से जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा एक जिला स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया जांच के उपरांत कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए जांच से खुलासा हुआ है कि विगत कई वर्षों से सरकार को गुमराह करते हुए फर्जी तरीके से मासूम भोले वाले बच्चों की फर्जी आईडी बनाकर (RTE) के अंतर्गत कूट रचित दस्तावेज के माध्यम से फर्जीवाड़ा करते चले आ रहे हैं। 

 

 

विद्यालय में (RTE) के तहत कई बच्चों को प्रवेश दिया गया इसमें नरोत्तम पुत्र गोलू को फर्जी तरीके से प्रवेश देकर प्रवेश क्रमांक 232 दर्शाया गया सन 2015-16 में 4700 रुपये निकालना पाया गया। जांच करने पर प्रवेश क्रमांक 232 पर तनु कुशवाहा का नाम अंकित है। नरोत्तम पुत्र गोलू की आईडी क्रमांक 188056884 पोर्टल से जानकारी देखने पर नरोत्तम पुत्र गोलू की उम्र 47 वर्ष है ग्राम सिमरिया जनपद पंचायत पाटन जिला जबलपुर का रहने वाला है। रोनक अहिरवार आयु 2 माह पिता भारत सिंह आनंदपुर को भी कक्षा नर्सरी में प्रवेश दिया गया। प्रवेश क्रमांक 364 दर्शाया गया जांच करने पर प्रवेश क्रमांक 364 पर साधना बघेल का नाम अंकित है। जबकि रौनक अहिरवार को प्रवेश क्रमांक 364 पर कक्षा एक की अंक सूची जारी की हैं। तथा साक्षी जाटव पुत्री हृदेश जाटव निवासी आनंदपुर को 1 वर्ष 11 माह की उम्र में कक्षा नर्सरी में प्रवेश दिया गया शिक्षा अधिकारी द्वारा जिला परियोजना अधिकारी जिला शिक्षा केंद्र विदिशा के पत्र क्रमांक 5260 विदिशा  दिनांक 29-12 -2020 के द्वारा स्कूल प्रबंधन को कुल राशि ₹39777 नियम विरुद्ध पाई जाने पर जमा करने हेतु पत्र दिया गया स्कूल प्रबंधक द्वारा ₹25884 जमा किया गया स्कूल प्रबंधन द्वारा जब यह राशि जमा की जाती है तो स्वता ही आरोप सिद्ध हो जाते है।

 

 

इसके बावजूद भी स्कूल प्रबंधन अपने किए कृत्यों से  बच नहीं सकता राशि वापस करने से अपराध खत्म नहीं हो जाता है अब सवाल ये उठता है इस विद्यालय के द्वारा कितने लोगों को फर्जी तरीके से प्रवेश देकर कितनी राशि का भ्रष्टाचार किया गया हैं। जांच उपरांत स्कूल प्रबंधन को जवाब हेतु नोटिस दिया गया तब भी विद्यालय के द्वारा कूट रचित फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए जिसमें एक पावती सीआरसी दीपक श्रीवास्तव हस्ताक्षर युक्त जो पूर्व में 16 सितंबर 2020 को मृत्यु हो गई है। अक्षिका एकेडमी ने उनको भी नहीं छोड़ा उनके फर्जी  हस्ताक्षर कर जांच समिति के समक्ष प्रस्तुत किये ऐसे स्कूल  संचालकों पर क्या कार्रवाई होती है देखना है क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी जांच उपरांत भी अभी तक किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं कर सके हैं। आम चर्चा है कि इस घोटाले में स्कूल संचालकों को बचाने के लिए उसमें लेन-देन की बू आ रही है इस कारण इतने सबूत होते हुए भी जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं की जा रही अब देखना है फर्जी दस्तावेज पर क्या एफ आई आर दर्ज होगी क्या इनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई होगी या इनको बगैर कार्रवाई के ही छोड़ दिया जाएगा। 

जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि स्कूल संचालक बहुत दबंग है किसी की हत्या करा सकते हैं इसलिए कोई अधिकारी जांच करने को तैयार नहीं होता है इस कारण मेरे द्वारा जिले से एक समिति गठित कर जांच कराई गई है जब अधिकारी ही जाँच से किनारा करेंगे तो जाँच को अंजाम तक पहुंचाएगा कौन?जिले के स्कूलों की सच्चाई जानना है तो करोड़ो का भ्रष्टाचार उजागर हो पायेगा। 

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