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यूपी से एमपी तक जुड़ी नशे के कारोबारियों की चेन

रीवा। जिले में नशे का कारोबार करने वालों की चेन यूपी से लेकर एमपी तक जुड़ी हुई है। यूपी में नशीली सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध न होने का फायदा रीवा जिले के तस्कर उठा रहे है और हर माह बड़ी मात्रा में खेप रीवा जिले में पहुंच रही है।

कंटेनरों से आती है खेप 
पुलिस के हांथ छोटे वाहनों में आने वाली खेप ही लगती है जबकि बड़े-बड़े कंटेनरों में आने वाली खेप आसानी से तस्करों के बीच बंट जाती है। दरअसल जिले में नशीली सिरप की तस्करी यूपी से हो रही है। हर माह प्रयागराज व मिर्जापुर मार्ग से नशीली सिरप की खेप रीवा पहुंचती है। तस्कर आम तौर पर बड़ी खेप बड़े-बड़े कंटेनरों में मंगवाते है। यह कंटेनर आमतौर पर सीमेंट सहित अन्य सामान छोड़कर यूपी से लौटने वाले वाहनों से होती है। रात में इन्हें बाईपास के सूनसान स्थान पर खड़ा कर चोरीछिपे उससे माल उतार लिया जाता है जो जीप के माध्यम से सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जाता है। जिले के गांव-गांव में नशीली सिरप की बिक्री तस्कर करते है जिनकी जड़े गहरे तक जमी है।

यूपी में 60 रुपए में मिलती है नशीली सिरप
दरअसल यूपी में नशीली सिरप खरीदने पर एक सीसी 60 से 70 रुपए में मिल जाती है जबकि उसमें प्रिंट रेट अब 120 रुपए होता है। यह सिरप तस्कर यहां लाकर 200 रुपए में बेंचते है। वर्तमान में लॉक डाउन के कारण एक सीसी नशीली सिरप की कीमत ढाई सौ रुपए कर दी है। एक पेटी नशीली सिरप बेंचने में थोक तस्करों को पांच हजार रुपए का फायदा होता है। यही कारण है कि इस कारोबार से काफी संख्या में लोग जुड़कर चोरीछिपे नशीली सिरप की तस्करी कर रहे है।

कस्बाई इलाके बने नशीली सिरप के हब
जिले के कस्बाई इलाके नशीली सिरप के हब बन गए है। इनमें सबसे ज्यादा मऊगंज, मनगवां, रायपुर कर्चुलियान, गुढ़, बैकुंठपुर, सगरा, गढ़, नईगढ़ी शामिल है। इसके अतिरिक्त शहर के अमहिया, घोघर, बिछिया, बस स्टैण्ड, सिरमौर चौराहा, समान तिराहा, रतहरा, पडऱा, ढेकहा, निपनिया सहित दो दर्जन स्थान नशीली सिरप बिक्री के लिए कुख्यात हो चुके है। शहर के कई लोग बड़े पैमाने पर नशीली सिरप की तस्करी करते है।

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