सस्पेंड अफसर फिर बहाल, 50 दिन रोकी फाइल, इमरती देवी बोली, मेरे यहां नहीं, CM के यहां रुकी होगी, ये है मामला
मध्यप्रदेश/भोपाल – लॉकडाउन में निर्देश रहे कि आंगनबाड़ी केंद्र के हितग्राहियों 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए, गर्भवती एवं धात्री माताओं व किशोरी बालिकाओं को कोरोना के दौरान कुपोषण से बचाने के लिए रेडी-टू-ईट पोषण आहार दिया जाना था। बच्चों को एक किलो 200 ग्राम तथा गर्भवती-धात्री माताओं को डेढ़ किलो दिए जाने के निर्देश थे। जांच में पता चला कि खंडवा जिले के बलड़ी-किल्लोद, हरसूद एवं खालवा में यह 200 से 300 ग्राम ही पोषण आहार दिया गया। वितरण का डाटा भी नहीं रखा गया। फर्जीवाड़े का संदेह हैं। बता दे कि खंडवा की जिला कार्यक्रम अधिकारी अंशुबाला मसीह और खालवा की परियोजना अधिकारी हिमानी राठौर 16 सितंबर को सस्पेंड हुई थीं।
लेकिन इस मामले में अब दोनों अफसरों की बहाली हो गई क्योंकि सस्पेंड होने के 90 दिन के भीतर महिला एवं बाल विकास विभाग उन्हें चार्जशीट (आरोप-पत्र) जारी नहीं कर पाया। बताया जा रहा है कि चार्जशीट जारी करने से पहले अनुमोदन के लिए फाइल विभाग की मंत्री इमरती देवी के पास भेजी गई थी, जो 50 दिन बाद लौटी। तब तक 90 दिन का समय बीत गया। फाइल 29 अक्टूबर को मंत्री के पास भेजी गई थी, जो 18 दिसंबर को लौटी। अब विभाग कह रहा है कि नए सिरे से कार्यवाही की जा सकती हैं।
इस मामले में मंत्री के यहां से जब फाइल लौटी, तब तक 92 दिन हो चुके थे। इस बारे में जब इमरती से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह फाइल मेरे यहां नहीं, मुख्यमंत्री के यहां रुकी होगी। मैं इस मामले को नहीं देख रही हूं। विभाग के अधिकारी इस बारे में बता सकते हैं। वहीं, विभाग के प्रमुख सचिव अशोक शाह का कहना है कि अनुमोदन के लिए फाइल मंत्री को भेजी गई थी।
गौरतलब है कि इमरती देवी के अनुमोदन के बाद 18 दिसंबर को चार्जशीट की फाइल विभाग में लौटी। इसी दिन सस्पेंड अधिकारी बहाल हो गईं। जैसे ही प्रमुख सचिव ऑफिस में यह पता चला तो आनन-फानन में उप सचिव व आईएएस अधिकारी जगदीशचंद्र जटिया ने 18 दिसंबर को ही न केवल स्पीड पोस्ट से आरोप-पत्र भेजा, बल्कि खंडवा कलेक्टर अनय द्विवेदी को कहा गया कि इसकी तामील कराएं।