माफिया के दबाव में IAS को हटाया : शिवराज, हंगामे से सदन स्थगित
भोपाल : आयुषी जैन : अतिथि विद्वानों को नियमित नहीं करने, सरकार में पोषण आहार माफिया के दखल, कर्मचारियों से वादाखिलाफी जैसे अन्य आरोपों के बाद शुक्रवार को विधानसभा में जबरजस्त हंगामा हुआ। सत्ता और विपक्ष के सदस्यों में तीखी नोक-झोंक हुई। दोनों पक्षों में बहस बढ़ती देख स्पीकर एनपी प्रजापति ने शांत करने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने तो कार्यसूची में शामिल अन्य विषयों को लेना शुरू कर दिया, इसी हंगामा के बीच दस महत्त्वपूर्ण विधेयक बिना चर्चा पारित हुए. सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
अध्यक्ष पर इतना दबाव है तो मंत्रालय और जिला, गांव में काम करने वाले अधिकारी, बाबुओं पर कितना दबाव होगा : गोपाल भार्गव
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा सहित विपक्ष के अन्य सदस्यों ने अतिथि विद्वानों को नियमित करने का मामला उठाया। शिवराज ने आरोप लगाया कि, सरकार ने आईएएस गौरी सिंह का तबादला पोषण आहार माफिया के दबाव में किया है. वे पोषण आहार वितरण व्यवस्था में निजी कंपनियों की भागीदारी नहीं चाहती थीं और यह सरकार को यह मंजूर नहीं था. आखिरकार गौरी सिंह ने वीआरएस मांग लिया।
गोपाल भार्गव ने कहा कि गौरी सिंह आईएएस एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं। जब आईएएस एसोसिएशन की अध्यक्ष पर इतना दबाव है तो मंत्रालय और जिला, गांव में काम करने वाले अधिकारी, बाबुओं पर कितना दबाव होगा।
सत्तापक्ष की ओर मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल सहित अन्य विधायकों ने कहा कि गौरी सिंह मनमर्जी से काम कर रही थीं। पंचायत चुनाव आरक्षण इत्यादि में उन्होंने न तो मुख्यमंत्री को भरोसे में लिया और न ही विभागीय मंत्री को इसकी जानकारी दी। इसलिए उनका तबादला किया था। इसके बाद बहस बढ़ती गई।
दलालों से मुक्त कराने के लगाते रहे नारे
अतिथि शिक्षकों को नियमित करने और वचन पत्र में किए गए वादों को पूरा किए जाने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्य गर्भगृह में आकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान वे पोषाहार में ठेकेदारों का दखल बंद करने, ईमानदारी अधिकारियों को संरक्षण देने और मंत्रालय को दलालों से मुक्त कराने के नारे लगाते रहे।
हम दो 200 के बराबर-
रामबाई और शेरा
प्रश्नकाल के बाद निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा बोले- सदन में उनके सवाल नहीं आ पाते। वहीं बसपा विधायक रामबाई ने आरोप लगाया कि, उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जाता। वे अपनी बात यहां नहीं कहेंगी तो कहां कहेंगी। रामबाई ने कहा, हमें सिर्फ दो न समझा जाए, हम 200 के बराबर हैं।