ओलिंपिक सेमीफाइनल में पहुंचे रवि कुमार दहिया, मेडल के लिए सिर्फ एक जीत की दूरी, जानिए उनकी स्ट्रगल स्टोरी।
भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं। अब वे मेडल से सिर्फ एक जीत की दूरी पर हैं। रवि को 57 किलोग्राम वेट कैटेगरी के अंतिम 4 में कजाकिस्तान के नूरीस्लाम सनायेव से मुकाबला करना है। इस मैच में जीत हासिल करते ही वे गोल्ड या सिल्वर में से एक मेडल पक्का कर लेंगे। बता दें की वे सेमीफाइनल में हार भी जाते हैं तो ब्रॉन्ज मेडल के लिए खेलेंगे।
बता दें की अपने गांव के तीसरे ओलिंपियन हैं रवि। रवि कुमार हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव के रहने वाले हैं। इस गांव से उनसे पहले महावीर सिंह (1980 और 1984 में) और अमित दहिया (2012 में) ओलिंपिक में देश को रिप्रजेंट कर चुके हैं, लेकिन इन दोनों ने मेडल जीतने में कामयाबी हासिल नहीं की थी।
रवि कुमार दहिया की स्ट्रगल स्टोरी
रवि मैट पर कुश्ती लड़ें और जीतें इसके लिए उनके पिता राकेश कुमार दहिया ने असल जीवन में गरीबी और मुश्किलों का सामना किया है| पिता राकेश कुमार किराए के खेतों पर मेहनत करते थे| वे रोज़ नाहरी से 60 किलोमीटर दूर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में बेटे के लिए दूध और मक्खन लेकर जाते थे।
रवि का इस मुकाम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने और उनके पिता ने इसके लिए कई सालों तक काफी संघर्ष किया है। उनके गांववालों को उम्मीद है कि रवि की कामयाबी से सरकार की नजर वहां के खराब हालात पर जाएगी और स्थिति में सुधार होगा।