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पुलवामा हमले के 3 साल:- कभी नहीं भूलेगा हिंदुस्तान, ना भूलने देगा…..मंजर देख दहल उठा था मां भारती का दिल 

पुलवामा हमले के 3 साल:- कभी नहीं भूलेगा हिंदुस्तान, ना भूलने देगा…..मंजर देख दहल उठा था मां भारती का दिल 

 

 

 

द लोकनीति डेस्क:गरिमा श्रीवास्तव

 पुलवामा हमला, 14 फरवरी का दिन था जहां पूरे विश्व में प्रेम का त्यौहार वैलेंटाइंस डे मनाया जा रहा था.

 पर यह दिन भारत देश के वीर सपूतों को निगल लेगा किसी ने सोचा भी नहीं था.

समय करीब दोपहर के 3.30 बज रहे थे। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ का काफिला गुजर रहा था। यह दिन भी सामान्य दिन की तरह ही था.उस दिन भी सीआरपीएफ के वाहनों का काफिला अपनी धुन में जा रहा था। हालांकि, घाटी में आतंकी गतिविधियों को देखते हुए काफिले में चल रहे सभी सुरक्षाकर्मी सतर्क थे। सड़क पर उस दिन भी सामान्य आवाजाही थी।सब कुछ सही सा दिख रहा था. अभी सीआरपीएफ का काफिला पुलवामा पहुंचा ही था, तभी सड़क के दूसरे साइड से सामने से आ रही एक कार ने सीआरपीएफ के काफिले के साथ चल रहे वाहन में टक्‍कर मार दी। जैसे ही सामने से आ रही एसयूवी जवानों के काफिले से टकराई और जब तक सीआरपीएफ के जवान कुछ समझ पाते तब तक विस्फोटकों से लदी इस कार ने ऐसा धमाका किया, जिससे पूरा देश कांप उठा.

 धमाका ऐसा था कि कुछ समय तक सिर्फ और सिर्फ धुआ दिखाई दे रहा था. कोई कुछ भी समझ नहीं पाया था कि सब कुछ शून्य हो गया.

धमाका ऐसा था कि जिसमें न सिर्फ जवान शहीद हुए, बल्कि बस के परखच्चे उड़ गए। यह हमला था या फिर कुछ और….यह बात भारतीय जवान जब तक समझ पाते आतंकियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसके बाद भारतीय जवानों ने भी तुरंत पोजिशन ली और काउंटर फायरिंग शुरू कर दी। सीआरपीएफ जवानों की फायरिंग को देख आतंकी वहां से भाग निकले।

 आतंकियों के भागते ही जवान अपने साथियों को चारों तरफ ढूंढ रहे थे पर सड़क पर शव इधर-उधर बिखरे पड़े थे. चारों तरफ खून और मांस के टुकड़े के अलावा कुछ और नजर ही नहीं आ रहा था. देश में हाहाकार मच गया. इस भयावह हमले में 40 वीर जवान शहीद हो चुके थे.

जवान घायल अवस्था में तड़प रहे थे। सेना ने बचाव कार्य शुरू किया और उन्हें तुरंत ही अस्पताल ले जाया गया। बचाव कार्य और सर्च ऑपरेशन दोनों एक साथ चल रहे थे।

 इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया पुलवामा में ड्यूटी कर रहे वीर सपूतों के परिजन बदहवास हालत में थे. किसी को नहीं पता था कि किसके घर का इकलौता चिराग, किसका बेटा, किसका पति,किसका पिता इस हमले में शहीद हो गया.

इस हमले को अंजाम देने वाला आत्मघाती हमलावर आतंकी आदिल अहमद डार था.आतंकी आदिल अहमद डार ही उस कार को चला रहा था, जिसमें विस्फोटक थे.इसने खुद को इस हमले में उड़ा लिया था.

 

 देश उन वीर शहीदों को तो वापस नहीं ला सकता था लेकिन मां भारती के चरणो में जान गंवाये अमर जवानों के शहीद होने का बदला भारतीय सेना ने 12 दिन बाद आतंकियों से लिया.

पुलवामा हमले के 12 दिन बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान स्थित बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक किया.इस एयरस्ट्राइक में भारतीय वायुसेना ने इतनी बमवर्षा की कि उसके आतंकी ठिकाने पूरी तरह से ध्वस्त हो गए और करीब 300 आतंकवादी मारे गए.

भारत ने पुलवामा अटैक में शामिल सभी आतंकवादियों को भी धीरे-धीरे मार गिराया.

देश मां भारती के उन वीर सपूतों को ना कभी भूला है ना कभी भूल पायेगा जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दे दी.

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