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प्रियंका ने पकड़ी भाजपा की कमजोर नस, 10 करोड़ का फॉर्मूला लगाकर बनाएगी कांग्रेस की सत्ता

प्रणय शर्मा,भोपाल। कांग्रेस पार्टी ने इस साल कई राज्यों में होने वाले 2024 के चुनावो के लिए जमकर कमर कस ली है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, दोनो ही पार्टियां कोई न कोई नया फॉर्मूला लगाकर अपनी सत्ता को प्रदेश में लाने के लिए कोशिश करती नजर आ रही हैं। वही, कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी के हाथ ’10 करोड़’ का फॉर्मूला लगा है। पुरानी पेंशन बहाली के इस फॉर्मूले को कांग्रेस पार्टी, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनाव में परख चुकी है। इन दोनों राज्यों में मिली सफलता के बाद कांग्रेस पार्टी ने अब मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए ‘ओपीएस’ के फॉर्मूले को अपने एजेंडे में शामिल करने का निर्णय लिया है। प्रियंका गांधी ने पुरानी पेंशन पर भाजपा की कमजोर कड़ी पकड़ ली है।

इस साल मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। सोमवार को प्रियंका गांधी ने मध्यप्रदेश में जिन पांच गारंटी की बात कही है, उनमें सरकारी कर्मियों के लिए ‘पुरानी पेंशन’ बहाली भी शामिल है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने पहले ही पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी है। हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर प्रियंका गांधी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी पुरानी पेंशन लागू करने का वादा किया था। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के पीछे सरकारी कर्मियों की एक बड़ी भूमिका रही है।

केंद्र में स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव और ‘नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन’ (एनजेसीए) के संयोजक शिव गोपाल मिश्रा के मुताबिक, पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे की गहराई भाजपा समझ नहीं पा रही है। भाजपा अब भी एनपीएस में सुधार की बात कहती है, जबकि कर्मचारी संगठन कह चुके हैं कि उन्हें पुरानी पेंशन बहाली से परे कुछ भी मंजूर नहीं है। एनपीएस को समाप्त करना ही पड़ेगा। अब ओपीएस का मुद्दा हर राज्य में पहुंच चुका है। 2024 के लोकसभा चुनाव और उससे पहले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे का असर देखने को मिलेगा। देश में सरकारी कर्मचारी, पेंशनरों और उनके परिवारों को मिलाकर देखें, तो वह आंकड़ा 10 करोड़ से पार चला जाता है। कर्मचारियों ने पहले भी कहा है कि ‘जो पुरानी पेंशन बहाल करेगा, वही देश पर राज करेगा’।

केंद्र सरकार, ओल्ड पेंशन स्कीम ‘ओपीएस’ के पक्ष में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसे आने वाली पीढ़ियों पर बोझ बता चुके हैं। उन्होंने ‘पुरानी पेंशन’ को लेकर कहा था कि ऐसा पाप न करें, जो आपके बच्चों का अधिकार छीन ले। पीएम ने आर्थिक संकट में फंसे एक पड़ोसी मुल्क का उदाहरण भी दिया। देश में कुछ राज्य आज उसी राह पर चल रहे हैं। वे तत्कालीन भुगतान के चक्कर में देश को बर्बाद कर देंगे। अपने फैसलों के द्वारा वे आने वाली पीढ़ियों पर भारी बोझ डाल रहे हैं। इसके बाद कर्मचारी संगठनों और विपक्ष के दबाव में केंद्र सरकार ने इस मामले में जो कमेटी गठित की है, उसके एजेंडे में कहीं भी ओपीएस का जिक्र नहीं है। सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम यानी ‘एनपीएस’ में बदलाव के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यों की कमेटी की है।

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