कोरोना काल में न राशन मिला और न हुनर के मुताबिक काम…
कोरोना काल में न राशन मिला और न हुनर के मुताबिक काम…
सिहोरा में गुजरात से लौटे प्रवासी मजदूरों के परिवारों की दयनीय स्थिति
प्रवासी मजदूर सीरीज : द लोक नीति की स्पेशल रिपोर्ट
सिहोरा
काम की तलाश में सिहोरा के गढ़िया मोहल्ला के चार परिवार अपने बच्चों के साथ गुजरात के वलसाड़ जिले में ईट बनाने का काम करने गए थे। कोरोना काल के दौरान वह जैसे तैसे अपने घर तो लौट आए, लेकिन इन परिवारों की इतनी दयनीय स्थिति है कि न तो शासन से राशन मिला और न ही हुनर के मुताबिक काम। सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए वादे तो बहुत लोग लुभावने किए, लेकिन हकीकत में ये मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं। हालत यह है कि इन परिवारों के लोग जैसे तैसे यहां वहां मजदूरी करके अपना पेट पाल रहे।
सिहोरा के गढ़िया मोहल्ला निवासी भारत चक्रवर्ती, वर्षा चक्रवर्ती अपने तीन बच्चों मुस्कान (7), श्रेया(5) और आयुषी (1) को लेकर गुजरात के वलसाड जिले के बिल्ली मोरा में ईट बनाने का काम करने गए थे। भारत बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा था। रहने के लिए जहां वह ईट भट्टा का काम करते थे वहीं झोपड़ी बनाकर करीब दो महीने जैसे तैसे काटे।
ईट भट्टा मालिक ने खाने के लिए जो पैसा दिया था। लौटते समय स्टांप में ₹14000 का कर्जा लिख दिया। इतना ही नहीं वलसाड से झाबुआ आने के लिए जो ऑटो किया उसका पैसा भी ठेकेदार ने कर्जे में जोड़ लिया।
सेठ नहीं दे रहा था पैसा, लग रहा था कर लूं आत्महत्या : रंजीत चक्रवर्ती ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान सेठ घर लौटने के लिए पैसे नहीं दे रहा था। ऐसे में लग रहा था कि आत्महत्या कर लूं, लेकिन फिर घर वालों का ख्याल आ गया। सेठ ने पैसा तो दिया लेकिन एक पूरे स्टांप पर दस्तखत करवा कर ₹14000 का कर्जदार बना दिया। यहां आकर भी कुछ नहीं बदला ईट बनाने का काम जानता हूं लेकिन काम ही नहीं मिल रहा है। सरकार बोल रही थी कि प्रवासी मजदूरों को राशन मिलेगा लेकिन तीन माह बीतने को हैं राशन का एक दाना नहीं मिला।
सरकार यही काम दे तो फिर दूसरे राज्य क्यों जाएं : कमलेश चक्रवर्ती राजकुमार चक्रवर्ती गिरजा बाई चक्रवर्ती राजू चौरसिया मदन चक्रवर्ती और ज्योति चक्रवर्ती कहते हैं कि सरकार यदि यही पर हमें काम देती तो दूसरे राज्य मजदूरी करने क्यों जाते हैं। अपने घर लौट कर भी हालात में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ है काम कुछ है नहीं मजदूरी मिल गई तो चूल्हा जल गया नहीं तो भूखे पेट ही सोने की स्थिति बन गई है। संबल योजना का कार्ड दिखाते मजदूरों ने बताया कि कार्ड तो बना है लेकिन लाभ के नाम पर कुछ भी नहीं। सरकार होरन के अनुसार काम देने की सिर्फ खोखले वादे करती है हकीकत में कहीं भी काम नहीं है।
इनका कहना
सिहोरा के चोपड़ा मोहल्ला में जो 9 प्रवासी परिवार गुजरात से लौटे थे उनकी जानकारी तैयार की गई यदि उन्हें राशन नहीं मिला है और रोजगार को लेकर परेशान है तो वह नगर पालिका में संपर्क करें। उन्हें राशन भी दिलाया जाएगा और रोजगार के लिए ठेकेदारों के माध्यम से काम भी दिया जाएगा।
जय श्री चौहान, मुख्य नगरपालिका अधिकारी सिहोरा