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PM नरेंद्र मोदी अपने "बयान" को साबित करें या मांगे माफी – IMA

नई दिल्ली – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने एक बयान पर फसते हुए नज़र आ रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पीएम मोदी के एक बयान पर कड़ी आपत्ति जताई हैं। दरअसल पीएम मोदी ने अपने एक बयान में कहा था कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों ने रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं हैं। ये बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 'मीडिया में आई रिपोर्ट्स के आधार पर कहीं। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके इस बयान पर मांग की है कि प्रधानमंत्री या तो आरोपों से इनकार करें, साबित करें या माफ़ी मांगें। आईएमए की और से कहा गया की पीएम मोदी ये साबित करे कि शीर्ष फ़ार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं। अगर पीएम साबित नहीं क्र सकते तो इस बात पर माफ़ी मांगे। 

आईएमए का कहना है कि उसे उम्मीद है सरकार इन आरोपों को साबित कर पाएगी। लेकिन अगर प्रधानमंत्री की ओर से आया ये बयान बिना किसी सत्यता को परखे दिया गया है तो उन्हें तत्काल माफ़ी मांगनी चाहिए। आईएमए की और से कहा गया कि ऐसे बयानों का मक़सद देश में लोगों के स्वास्थ्य और मेडिकल शिक्षा को बेहतर बनाने के अनसुलझे मुद्दों से भटकाना हैं। 

आईएमए की और से कहा गया कि अगर प्रधानमंत्री कार्यालय को इस बात की जानकारी थी तो इन पर आपराधिक मामला दर्ज क्यों नहीं कराया गया? आगे कहा गया कि ''हम जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास उन कंपनियों की जानकारी थी जो डॉक्टरों को लड़कियां उपलब्ध कराती हैं?

वहीं, आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा और सेक्रेटरी जनरल डॉ. आरवी असोकन के हस्ताक्षर वाली विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि पीएमओ ऐसे डॉक्टरों के नाम भी जारी करे। साथ ही राज्यों की मेडिकल काउंसिल ऐसे डॉक्टरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करे। 

गौरतलब है कि नवंबर महीने में पुणे की संस्था सपोर्ट फॉर एडवोकेसी एंड ट्रेनिंग टू हेल्थ इनीशिएटिव्स ने अपनी स्टडी में दावा किया था कि डॉक्टर फ़ार्मा कंपनियों से रिश्वत के तौर पर महंगी यात्राएं, टैबलेट, चांदी के सामान, सोने के गहने और पेट्रोल कार्ड तक लेते हैं। 

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