अपनी कमियों को छुपा पीएम ने किसानों पर उठाए सवाल!! विपक्ष को घेरा, अब क्या करेगा देश का किसान

अपनी कमियों को छुपा पीएम ने किसानों पर उठाए सवाल!! विपक्ष को घेरा, अब क्या करेगा देश का किसान
नई दिल्ली/गरिमा श्रीवास्तव :- कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल बिहारी बाजपेयी कि जयंती पर देश भर के किसानों को संबोधित किया .कृषि बिल को लेकर पीएम मोदी ने किसानों पर ही सवाल खड़े कर दिए और इस दौरान उन्होंने विपक्ष को भी जमकर घेरा .
किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवाल उठाए. अपनी कमियों को छुपाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की सरकार पर हमला किया. उन्होंने कहा कि जो लोग इन दिनों प्रतिबल को लेकर आंदोलन कर रहे हैं पश्चिम बंगाल की सरकार नहीं दिखाई देती है तो 7000000 किसानों को पीएम सम्मान निधि नहीं लेने दे रही है. यह विचारधारा लिए हुए बंगाल के लोग आज पंजाब पहुंच गए हैं.
आंदोलनकारियों ने केरल की तरक्की नहीं देखा जहां ना एमपीएमसी है और ना मंडी है.. वहां पर भी कोई आंदोलनकारी आंदोलन क्यों नहीं करता है.. विपक्ष को घेरते हुए मोदी ने कहा कि कि लोग चर्चा में आने के लिए इवेंट कर रहे हैं.
बंगाल के हालात पर चुप, केरल नहीं दिखाई दे रहा पर राजनीति कर किसानों को बदनाम करने की पूरी साजिश रची जा रही है.
पीएम मोदी ने ऐसे समझाएं कृषि कानून:-
पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान कृषि कानून को इस तरह से किसानों को समझाया. उन्होंने कहा कि पहले कृषि कानून तोड़ने पर किसानों को पेनाल्टी लगती थी लेकिन अब हमारी सरकार ने ऐसी पेनाल्टी को खत्म कर दिया है अब खरीदार को किसानों को रसीद भी देनी होगी और 3 दिन के भीतर फसल का पैसा भी देना होगा.
अगर कंपनी को पसंद से ज्यादा मुनाफा होगा तो उसे फसल के दाम से अलग बोनस भी किसान को देना होगा. पीएम का कहना है कि अगर इसको किसानों को नहीं बल्कि कंपनी को झेलना होगा.
पीएम ने कहा कि अगर कोई किसान एग्रीमेंट करेगा तो वह चाहेगा की फसल अच्छी होने से एग्रीमेंट करने वाला व्यक्ति बाजार के ट्रेंड के हिसाब से ही किसानों को आधुनिक चीजें उपलब्ध कराएगा. अगर किसी वजह से किसान की फसल अच्छी नहीं होती या बर्बाद हो जाती है तो भी किसान को फसल का पैसा मिलेगा, एग्रीमेंट करने वाला समझौता नहीं तोड़ सकता लेकिन किसान अपनी मर्जी से एग्रीमेंट कर सकता है.
पीएम मोदी ने कहा कि जिन राजनीतिक दलों को देश की जनता नकार चुकी है आज कुछ किसानों को गुमराह करने में लगे हुए हैं. कुछ लोग किसानों और सरकार की चर्चा भी नहीं होने देना चाह रहे हैं..
जब आंदोलन शुरू हुआ था तो उनकी मांग थी कि एमएसपी की गारंटी होनी चाहिए पर अभी आंदोलन भटक चुका है., मांगें अलग-अलग तरह से भटक चुकी हैं.