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अब चूंकि ‘‘चुनाव’’ होना है, इसलिए नहीं फैलेगा कोरोना ?

अब चूंकि ‘‘चुनाव’’ होना है इसलिए नहीं फैलेगा कोरोना ?
प्रदेश सरकार का जनता पर दोहरा मापदंड ?

द लोकनीति डेस्क
भोपाल/राजकमल पांडे।
शायद मध्यप्रदेश की जनता इस बात से वाकिफ नहीं है कि सरकार, सरकार होती है और सरकारों में बैठे उड़न खटोलो को जनता के दुःख, सुख, पीडा, यात्रा, मेहनत, मजदूरी, भूख, प्यास और यातना के पैमाना नापने की मशीन नही है। गरीब, मजदूर केवल वोट डालने की मशीन है और अपने जरूरत के अनुसार गरीबों की कतार लम्बी कर देने वाले यह रबडयुक्त नेता और सरकारें चुनाव में सब कुछ सोख लेते हैं। जैसे अभी हालही के मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव में कोरोना बाढ को सोख लिया था। चुनाव खत्म होते ही जिस तरह प्रदेश में कोरोना केश बढ़ रहे हैं, उसके निहाज से जनता पर नहीं बल्कि इन नेताओं के चुनावी रैली, भाषण, सभा और आयोजनों में रोक लगानी चाहिए। नेताओं के कहीं भी आवाजाही में जमा होनी वाली भीड पर प्रशासन को सख्ती करनी चाहिए। निर्दोषों को पुलिस सरेराह पीट कर क्या बताना चाहती है कि प्रशासनिक दायरे का कानून केवल निर्दोष जनता पर ही कहर बरपाएगा नेताओं के लिए कोई नियम-कायदे-कानून मायने नही रखते हैं। अब चूंकि ‘‘चुनाव’’ होना है इसलिए नहीं फैलेगा कोरोना ? ऐसे सोच में प्रशासनिक डंडा चलने की जरूरत है, खैर यह कहने व सुनने में ठीक लगता है क्योंकि प्रशासनिक हाथ कई दशको से सरकारों की कुर्सियों के पाए में ही दबे हैं फिर चाहे सरकार में कोई भी क्यों न बैठा हो। मध्यप्रदेश में बढते कोरोना के मामलो से एक बात तो साफ जाहिर होता है कि यह संक्रमण विधानसभा उपचुनाव के बाद के हैं। फिर इस पर बाजार बंद की समय सीमा क्यों तय की जा रही है, और क्यों व्यापारी व गरीब जनता को परेशान किया जा रहा है। अगर सरकार के कारिन्दे नेताओं के निर्देषों की डुफ्ली-बाजाओं में से है, तो यह मान लेना चाहिए कि एक बार पुनः कोरोना की रफ्तार धीमी होने वाली है कि क्योंकि ‘‘चुनाव’’ होना है। और कोरोना रोकथाम हेतु प्रदेश सरकार के इंतजाम उन्हीं की तरह ढीला, सुस्त और लिजलिजा है। प्रदेशावासियों अगर दिल थम नहीं रहा है, तो किसी कदर थामिए अब चूंकि ‘‘चुनाव’’ होना है इसलिए नहीं फैलेगा कोरोना। प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है प्रदेश से लेकर गांव-कस्बों के प्यादे, प्यादों को ही शिकस्त देने के लिए निकलेगें। तब उनके लिए कोई कोरोना नहीं, पर बाजार 8 से 10 खुल जाएं तो प्रदेश सरकार का हजामा खराब हो जाता है। कोई शराब दुकान 10 से 11 खुल जाए तो किसी चौकी के थानेदार का डंडा हाथों में फडफडाने लगता है। कोई गरीब सड़क के ठेले में 8 से 10 बजे सब्जी का ठेला लगा ले, तो बर्दियों में टंगे तमगों की तौहीन है। खैर देखते जाइए अभी तो चुनाव होना है।

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