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संविधान दिवस विशेष:- पूरे देश में मनाया जा रहा है संविधान दिवस, इतने देशों के संविधान को मिलाकर बनाया गया भारतीय संविधान, पर क्या वाक़ई संविधान के नियमों का हो रहा है पालन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

संविधान दिवस विशेष:- पूरे देश में मनाया जा रहा है संविधान दिवस, सोशल मीडिया पर हैशटैग हो रहा ट्रेंड, पर क्या वाक़ई संविधान के नियमों का हो रहा है पालन, पढ़ें पूरी रिपोर्ट 

द लोकनीति डेस्क:गरिमा श्रीवास्तव 

आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है। सोशल मीडिया पर हैशटैग जमकर ट्रेंड कर रहा है।  पर विचार करने वाली बात यह है कि क्या संविधान में जिन नियमों का जिक्र किया गया है. हम उन सारी नियमों को सही तरह से फॉलो कर रहे हैं या नहीं…. 

 यहां “हम” में सिर्फ आम जनता ही नहीं, देश की सरकार भी है.. हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार, आए दिन बढ़ते अपराध,, संविधान के नाम पर किसी को न्याय मिल जाता है तो कोई इसी न्याय से महरूम रह जाता है, महरूम रह जाने की वजह यह है कि वह नेताओं की भ्रष्टाचारी पूरी करने के लिए उनका पेट भरने के लिए वह खाना नहीं जुटा पाता है, जिसकी वह मांग करते हैं… 

सरकार ने 19 नवंबर, 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था।

भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया है। यह दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद बनाया गया। 

इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं।

यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं। इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का वक्त लगा था।

पर क्या डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने यह सोचा होगा कि संविधान को बनाने में उन्होंने इतना समय लिया, उसी संविधान के नियमों का आए दिन हनन हो रहा है…  शीर्ष पर बैठे हुए लोग संविधान के नियमों का उसी जगह पर इस्तेमाल करते हैं जहां वह चाहते हैं… (सभी के लिए नहीं है)

 देश में आधी से ज्यादा आबादी को उनके हक उनके अधिकारों के बारे में नहीं पता है, जिनका ज़िक्र संविधान में हो चुका है.. पर इससे भी किसी को क्या मतलब है। नैतिक शास्त्र में संविधान तो पढ़ा दिया जाता है पर संविधान को लेकर जागरूकता कितने लोगों में है इसका आंकड़ा लगा पाना बहुत मुश्किल है। 
संविधान में इस देश को “सभी का हिन्दुस्तान” बताया गया। यहां हिन्दू मुस्लमान में भेदभाव को दूर करने की बात की गई। 
पर आज भी हिन्दू मुस्लिम के नाम पर आए दिन दंगे भड़काए जा रहे हैं। 
जाती धर्म श्रद्धा विश्वास के नाम पर लूटा जा रहा है। 
विचार करने वाली बात है कि क्या भीमराव अंबेडकर ने देश को यही सोचकर संविधान दिया था जिसके नियमों का एक एक कर उल्लंघन किया जा रहा है। और उल्लंघन करने वाले भी हम सभी हैं.
  

संविधान प्रस्तावना का विचार कहां से लिया गया :-

भारतीय संविधान में प्रस्तावना का विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया है. वहीं  प्रस्तावना की भाषा को ऑस्ट्रेलिया की संविधान से लिया गया है. प्रस्तावना की शुरुआत “हम भारत के लोग” से शुरू होती है और “26 नवंबर 1949 अंगीकृत”  पर समाप्त होती है.

नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य संकल्प में जो आदर्श प्रस्तुत किया गया उन्हें ही संविधान की उद्देशिका में शामिल कर लिया गया. संविधान के 42वें संशोधन (1976) द्वारा संशोधित यह उद्देशिका कुछ इस तरह है.

“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की और एकता अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प हो कर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० “मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद संविधान को अंगीकृत, अधिनियिमत और आत्मार्पित करते हैं.”

संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ी

#WATCH संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। pic.twitter.com/vOC2oSJpbf

— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 26, 2020

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