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सीधी:-सेहत महकमें की लापरवाही, 5 साल में खड़े-खड़े बर्बाद हो गई डॉयग्नोस्टिक वैन

सेहत महकमें की लापरवाही, 5 साल में खड़े-खड़े बर्बाद हो गई डॉयग्नोस्टिक वैन

सीधी/गौरव सिंह:- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत सीधी तकरीबन 6 साल पहले जिले को उपलब्ध कराई गई मोबाइल हेल्थ केयर यूनिट कम डॉयग्नोस्टिक वैन अब बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। जिस जोश ओ खरोश से यह वैन लाई गई वो सारा जोश अब ठंडा पड़ चुका है। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसकी तनिक भी फिक्र नहीं कि तकरीबन 80 लाख रुपये की यह वैन मौजूदा कोरोना काल में कितनी मददगार हो सकती है। अधिकारी चाहे जिला प्रशासन के हों या सेहत महकमे के, इसे रोजाना देखते हैं पर इसके इस्तेमाल के बारे में कभी भूले से भी विचार नहीं करते। यह वैन फिलहाल मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी कार्यालय के सामने खड़ी है।
आलम यह कि 5 साल से खड़े-खड़े वैन में लगे आवश्यक जांच उपकरण एवं अन्य मशीनरी या तो खराब हो चुके हैं या बर्बादी के कगार पर हैं। लेकिन जिला प्रशासन को इससे सरोकार नहीं। इस वाहन को चलाने के लिए अब तक न बजट की व्यवस्था की जा सकी है न ही स्टॉफ की। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग अब इस वाहन के पूरी तरह से कबाड़ में तब्दील हो जाने का इंतजार कर रहा है, ताकि इसकी कबाड़ के भाव नीलामी करवा सके।

विभागीय सूत्रों की माने तो जिले की तत्कालीन कलेक्टर स्वाती मीणा के कार्यकाल में वर्ष 2014 में करीब 80 लाख रूपए में जिला पंचायत के मद से इस वाहन की खरीद की गई थी। जिला प्रशासन द्वारा जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बनाने के लिए मोबाइल हेल्थ केयर यूनिट सह डॉयग्नोस्टिक वैन की खरीदी की गई थी। वाहन की खरीद तो कलेक्टर के निर्देश पर हो गई लेकिन इस वाहन को चलाने के लिए बजट किस मद से खर्च होगा इसका निर्णय नहीं हो पाया। लिहाजा बमुस्किल किसी तरह एक वर्ष तो इस वाहन को चलाया गया, लेकिन इसके बाद वाहन के पहिए ऐसे थमे की आज तक थमे हुए हैं।
आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त वैन
इस वैन में इलाज की सारी सुविधाएं तथा उपकरण मौजूद हैं। इसमें पैथालॉजी रूम, सेमीआटो एनालाइजर, सेंट्रीफ्यूज, माइक्रोस्कोप, आपरेशन थिएटर सह रैंप, डिजिटाइज्ड ऑक्सीजन पैनल, कोल्ड एवं वार्म बाक्स, महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण, उनके आपरेशन तथा स्त्री रोग निदान के लिए सारी सुविधाएं तथा उपकरण मौजूद हैं। वैन में डिजिटल एक्सरे मशीन, शिविर हेतु टेंट की सुविधा, डाक्टर्स रूम, रेटिनॉस्कोप, थ्री-चैनल, ईसीजी मशीन, फस्र्ट-एड बाक्स जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।
ये सेवाएं उपलब्ध करानी थी वैन को:-
इस वाहन में चिकित्सक एवं पैरा मेडिकल स्टाफ रहना था, जिन्हे ग्रामीणों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर उन्हें नि:शुल्क दवा वितरित करना था। इसके साथ ही संस्थागत प्रसव की सुविधा जिले के जिन स्थानों में उपलब्ध नहीं है ऐसे स्थानों में डॉयग्नोस्टिक वैन में ही गर्भवती महिला का सुरक्षित प्रसव कराया जाना था। विभागीय सूत्रों के अनुसार यह वाहन मुख्य रूप से जिले के कुसमी, मझौली जैसे आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में जाकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य का परीक्षण करना था। इस वाहन में हृदय रोग का उपचार भी किया जाना था।
यह था उद्देश्य:-
इस वाहन को चलाए जाने का उद्देश्य यह था कि ग्रामीणों को उपचार कराने के लिए अपने ग्राम से कई मील दूर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में आने की मजबूरी नहीं रहेगी, बल्कि उनके घर में ही उपचार हो जाएगा। आदिवासी महिलाओं एवं पुरूषों के स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार के लिए यह कदम क्रांतिकारी माना गया था। लेकिन बजट के अभाव में इस वाहन के पहिए थम गए हैं।
महज एक वर्ष ही चल पाई वैन :-
विभागीय सूत्र बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग को मोबाइल वैन हैंडओव्हर होने के बाद बमुस्किल एक वर्ष ही यह वाहन चल पाया, जब तक कलेक्टर स्वाती मीणा थी तब तक वाहन को कहीं न कहीं से बजट की व्यवस्था बनाई जाती रही। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद इस वाहन को संचालित करने के लिए बजट मुहैया नहीं हो पाया जिससे वाहन के पहिए थमे हुए हैं।
कलेक्टर के साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी करनी पड़ेगी पहल:-
“सर्वसुविधायुक्त इस वैन के संचालन में बजट की प्रमुख समस्या है, अब तो इसके काफी पार्ट खराब हो गए होंगे, इसे चालू स्थिति में लाने में करीब दस लाख का खर्च आ जाएगा। शासन स्तर से इसके संचालन के लिए अलग से बजट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। जिला स्तर पर इतना बजट है नहीं कि वाहन के मेंटीनेंश व स्टाफ में खर्च किया जा सके। इस वैन के संचालन के लिए कलेक्टर सहित सांसद व विधायक को भी पहल करनी पड़ेगी, तभी इसका संचालन संभव हो पाएगा।”

डॉ.बीएल मिश्रा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सीधी 

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