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JP Hospital में घनघोर लापरवाही, होमगार्ड जवान की मौत पर बवाल, पीसी शर्मा बोले, की गई बड़ी साजिश

मध्यप्रदेश/भोपाल – राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया हैं। जहां होमगार्ड जवान पुष्पराज गौतम की कोरोना वैक्सीन लगाए जाने के दो दिन बाद तबीयत बिगड़ गई थी और उन्हें शनिवार को जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन रविवार की रात के बाद परिजन का पुष्पराज से संपर्क नहीं हो पाया था और सोमवार की शाम को परिजन ने पुलिस में पुष्पराज के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके एक दिन बाद मंगलवार की शाम होमगार्ड जवान पुष्पराज का शव अस्पताल के ही एक बाथरूम में बरामद हुआ था। 

वहीं, बुधवार को कमलानगर थाने के सामने होमगार्ड जवान पुष्पराज गौतम के शव को लेकर परिजन ने जमकर हंगामा किया। प्रदर्शन कर रहे पुष्पराज के परिजनों का आरोप है कि पुष्पराज की हत्या की गई है और इसकी निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी चाहिए। परिजनों ने पुष्पराज की पत्नी को नौकरी दिए जाने की भी मांग की। इधर, परिजनों के प्रदर्शन करने की खबर लगने के बाद पूर्व मंत्री पीसी शर्मा भी कमलानगर थाने पहुंचे और परिजन के साथ प्रदर्शन किया।

इस दौरान पीसी शर्मा ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जरुर किसी की बड़ी साजिश है जिसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने मृतक जवान के परिजन को 50 लाख रुपए मुआवजा और पत्नी को सरकारी नौकरी दिए जाने की भी मांग की हैं। पीसी शर्मा ने कहा कि जेपी अस्पताल कोरोना का नोडल अस्पताल हैं। अस्पताल से एक व्यक्ति गुम हो जाता है और परिजन उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। अस्पताल प्रबंधन तीन-चार बार तलाश करने के बाद उसके भगोड़ा होने की रिपोर्ट लिखाता है और फिर बाद में अस्पताल के ही बाथरूम में उसका शव मिलता हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। 

वहीं, दूसरी तरफ थाने के बाहर हो रहे प्रदर्शन की खबर लगते ही पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे परिजनों को किसी तरह समझाइश देकर शांत कराया। पुलिस अधिकारियों की समझाइश और आश्वासन के बाद परिजन शांत हुए और तब कहीं उन्हें शव को ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया।

जानें कब क्या हुआ

  • 4 सितंबर 2020 को भोपाल के जयप्रकाश अस्पताल में संतोष रजक की मौत।
  • 25 सितंबर 2020 को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने पीड़ित से मुलाकात कर दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
  • 15 अक्टूबर 2020 को कलेक्टर को शिकायत। इस पर सीएमएचओ ने जांच समिति गठित कर दी।
  • 2 नवंबर 2020 को कमेटी ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी।
  • 14 दिसंबर 2020 को मानव अधिकार आयोग में प्रियंका ने शिकायत की।
  • 28 दिसंबर 2020 को जांच रिपोर्ट मानव अधिकार आयोग को भेजी गई।
  • 9 फरवरी 2021 को मानव अधिकार आयोग ने रिपोर्ट पर प्रियंका से प्रतिक्रिया मांगी।
  • 14 फरवरी 2021 को मानव अधिकार आयोग को प्रियंका ने अपनी 8 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी।

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