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National UNITY DAY विशेष :खंड-खंड भारत को एक भारत में पिरोने वाले,ऐसे थे सरदार पटेल ,144वीं जयंती आज ..

National UNITY DAY विशेष :खंड-खंड भारत को एक भारत में पिरोने वाले,ऐसे थे सरदार पटेल ,144वीं जयंती आज ..

वल्लभभाई झावेरभाई पटेल (31 October 1875 – 15 December 1950)
जो सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। 

सरदार को जनता ने दिया “सरदार” की उपाधि 
भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है “प्रमुख”। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।

जीवन परिचय
पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक लेवा गुर्जर पटेल(पाटीदार)जाति में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।

स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल की पहली सफलता | 
स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेडा संघर्ष में हुआ। गुजरात का खेडा खण्ड (डिविजन) उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।

आज़ादी के बाद सरदार का सफ़ऱ 

  • यद्यपि अधिकांश प्रान्तीय कांग्रेस समितियाँ पटेल के पक्ष में थीं, गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल जी ने प्रधानमंत्री पद की दौड से अपने को दूर रखा और इसके लिये नेहरू का समर्थन किया। 
  • उन्हे उपप्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री का कार्य सौंपा गया। किन्तु इसके बाद भी नेहरू और पटेल के सम्बन्ध तनावपूर्ण ही रहे। इसके चलते कई अवसरों पर दोनो ने ही अपने पद का त्याग करने की धमकी दे दी थी।
  • गृह मंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों (राज्यों) को भारत में मिलाना था। इसको उन्होने बिना कोई खून बहाये सम्पादित कर दिखाया।

562 देसी रियासतें को सरदार ने कैसे संभाला ?

  • स्वतंत्रता के समय भारत में 562 देसी रियासतें थी इनका क्षेत्रफल लगभग भारत का 40% था, सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व वी पी मेनन (VP MENON) के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिए कार्य आरंभ कर दिया था | 
  • पटेल और  देशी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना संभव नहीं होगा इसके परिणाम स्वरूप 3 को छोड़कर शेष सभी राज वालों ने सुरक्षा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया केबल जम्मू-कश्मीर जूनागढ़ और हैदराबाद स्टेट के राजाओं ने ऐसा करने से मना कर दिया जब जूनागढ़ स्वराज के पास एक छोटी रियासत थी और चारों ओर से भारतीय भूमि से गिरी थी पाकिस्तान के समीप नहीं थी |
  • वहां के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में विलय की घोषणा करा दी राज्य की सर्वाधिक जनता हिंदू थी और भारत में विलय चाहती थी लेकिन नवाब के विरुद्ध विरोध हुआ तो भारतीय सेना जूनागढ़ में प्रवेश कर गई नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया और 9 नवंबर 1947 को जूनागढ़ भी भारत में मिल गया वहीं फरवरी 1948 में वहां जनमत संग्रह कराया गया जो भारत में विलय के पक्ष में रहा अब बात आती है जरा बाद हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी जो चारों ओर से भारतीय भूमि से गिरी थी वहां के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा ढेर सारे हत्या करता रहा भारतीय सेना ने 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद निजाम ने 1948 में भारत में विस्तार किया नेहरू ने कश्मीर को अपने पास रख लिया एक समस्या है यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है| 

 

  •  आखिर 15 अगस्त 1947 तक केवल तीन रियासतें-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद छोड़कर उस लौह पुरुष ने सभी रियासतों को भारत में मिला दिया। इन तीन रियासतों में भी जूनागढ़ को 9 नवम्बर 1947 को मिला लिया गया तथा जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 13 नवम्बर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, जो पंडित नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी बना। 1948 में हैदराबाद भी केवल 4 दिन की पुलिस कार्रवाई द्वारा मिला लिया गया। न कोई बम चला, न कोई क्रांति हुई, जैसा कि डराया जा रहा था।

महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को इन रियासतों के बारे में क्या लिखा था ?
जहां तक कश्मीर रियासत का प्रश्न है इसे पंडित नेहरू ने स्वयं अपने अधिकार में लिया हुआ था, परंतु यह सत्य है कि सरदार पटेल कश्मीर में जनमत संग्रह तथा कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने पर बेहद क्षुब्ध थे। नि:संदेह सरदार पटेल द्वारा यह 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था। भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी। महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को इन रियासतों के बारे में लिखा था, “रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।”

आज जो IAS या IPS सब सरदार की सोच थी ,जो आज देश के लिए हैं समर्पित 
गृहमंत्री के रूप में वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (आई.सी.एस.) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आई.ए.एस.) बनाया। अंग्रेजों की सेवा करने वालों में विश्वास भरकर उन्हें राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा। यदि सरदार पटेल कुछ वर्ष जीवित रहते तो संभवत: नौकरशाही का पूर्ण कायाकल्प हो जाता।

सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी Sardar Vallabhbhai Patel National Police Academy (SVPNPA) 
सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (देवनागरी: सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी) भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service (IPS)) अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए भारतीय राष्ट्रीय संस्थान है, इस प्रशिक्षण के बाद इन अधिकारियों को उनकी ड्यूटी करने के लिए सम्बंधित भारतीय राज्य कैडर (उच्च प्रशिक्षण प्राप्त सैनिकों, कर्मचारियों का समूह) में भेज दिया जाता है। यह अकादमी हैदराबाद, भारत में स्थित है।

इस अकादमी की स्थापना 15 सितम्बर 1948 को की गयी थी। इसका नाम भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर दिया गया। सरदार वल्लभ भाई पटेल ही वे व्यक्ति थे जिन्होंने ऑल इण्डिया सर्विसेज़ का निर्माण किया और आईपीएस अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना भी की।

लेखन कार्य एवं प्रकाशित पुस्तकें
हिन्दी में

सरदार पटेल : चुना हुआ पत्र-व्यवहार (1945-1950) – दो खंडों में, संपादक- वी० शंकर, प्रथम संस्करण-1976, [नवजीवन प्रकाशन मंदिर, अहमदाबाद] सरदारश्री के विशिष्ट और अनोखे पत्र (1918-1950) – दो खंडों में, संपादक- गणेश मा० नांदुरकर, प्रथम संस्करण-1981 [वितरक- नवजीवन प्रकाशन मंदिर, अहमदाबाद] भारत विभाजन (प्रभात प्रकाशन, नयी दिल्ली)
गांधी, नेहरू, सुभाष (” “)
आर्थिक एवं विदेश नीति (” “)
मुसलमान और शरणार्थी (” “)
कश्मीर और हैदराबाद (” “)
In English
Sardar Patel's correspondence, 1945-50. (In 10 Volumes), Edited by Durga Das [Navajivan Pub. House, Ahmedabad.] The Collected Works of Sardar Vallabhbhai Patel (In 15 Volumes), Ed. By Dr. P.N. Chopra & Prabha Chopra [Konark Publishers PVT LTD, Delhi]

पटेल का सम्मान
अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र रखा गया है।
गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय
सन 1991 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित

सरदार पटेल के विचार 

1. “इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है.”

2. “आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए.”

3. “शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं.”

4. “मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए. लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा. कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा.

5. “आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये.”

6. “अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे.”

7. “आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए.”

8. “मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे.”

9. “जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए.”

10. “संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है. मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता.”

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (STATUE OF UNITY ) -विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति अब भारत में 

इसकी ऊँचाई 240 मीटर है, जिसमें 58 मीटर का आधार है। मूर्ति की ऊँचाई 182 मीटर है, जो स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी(STATUE OF LIBERTY)  से लगभग दोगुनी ऊँची है। 31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयंती के मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक नए स्मारक का शिलान्यास किया। यहाँ लौह से निर्मित सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा लगाने का निश्चय किया गया, अतः इस स्मारक का नाम 'एकता की मूर्ति' (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) रखा गया है| प्रस्तावित प्रतिमा को एक छोटे चट्टानी द्वीप 'साधू बेट' पर स्थापित किया गया है जो केवाड़िया में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी के बीच स्थित है।

2018 में तैयार इस प्रतिमा को प्रधानमंत्री मोदी जी ने 31 अक्टूबर 2018 को राष्ट्र को समर्पित किया। यह प्रतिमा 5 वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई है। 

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