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अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ हुए मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी, कही यह बात

अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ हुए मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी, कही यह बात

मैहर/ गरिमा श्रीवास्तव :- मध्यप्रदेश में जब कमलनाथ की सरकार थी उस दौरान अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर कर दिया गया था उस वक्त शिवराज सिंह चौहान अजीत विद्वानों के धरना स्थल पर पहुंचे थे और उनसे बड़े-बड़े वादे किए थे कहा था कि उनकी सरकार आते ही सबसे पहला काम होगा अतिथि विद्वान की सेवा में बहाली पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शपथ लिए आज 1 साल पूरे हो गए पर अभी तक अतिथि विद्वानों की सेवा में बहाली नहीं हो सकी है.. वहीं दूसरी तरफ मैहर से अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ हुए मुखर मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने आज सतना में अतिथि शिक्षकों की लड़ाई का आगाज कर दिया है।

 

विधायक का कहना, अगर अतिथि विद्वान ना होते तो हो जाती मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चौपट :-

विधायक ने कहा कि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर अतिथि शिक्षक नहीं लिए गए होते तो अगर मध्य प्रदेश में इन अतिथि शिक्षकों का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान ना होता मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई होती. तो यदि हम उनके इतने सालों का समय प्रदेश के बच्चों को पढ़ाने में लगाएं जो सरकार की जिम्मेदारी बनती है सरकार का फर्ज बनता है कि इन लोगों की उम्र ज्यादा हो गई है, तो सरकार उन्हें भी जो मानदेय है, वह तय करें और यथावत उन्हें आगे पढ़ाने का मौका दें. विधायक ने कहा कि यह हमारी भी मांग है इस विषय पर मैं बात रखूंगा.

 विधायक के बयान के बाद अधिक विद्वानों में जगी उम्मीद :-

 मैहर विधायक के इस बयान के बाद अतिथि विद्वानों में फिर से एक बार उम्मीद जगी है.. लगातार अपनी सेवा में बहाली को लेकर गुहार लगा रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कमलनाथ सरकार के दौरान सड़कों पर उतरने की बात कर रहे थे, उन्होंने अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है. शिवराज सिंह चौहान जो खुद को टाइगर कहते हैं और कहते हैं कि टाइगर जिंदा है उन्होंने अतिथि विद्वानों के हित में अभी तक महत्वपूर्ण फैसला नहीं लिया. यह परेशान है दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं हाल ही में एक अतिथि विद्वान अपनी आर्थिक स्थिति से जूझते जूझते मौत के मुंह में समा गया. इससे पहले कई अन्य अतिथि विद्वानों ने की आत्महत्या कर ली और महिला अध्यक्ष विद्वान ने धरना स्थल पर अपने केस त्यागे थे. पर फिर भी सरकार इनकी सुध नहीं ले रही है.

 लेकिन मैहर विधायक के इस बयान के बाद अब अतिथि विद्वानों को ऐसा लगने लगा है कि किसी जनप्रतिनिधि के माध्यम से यह उनकी बात सरकार तक पहुंचेगी और उनकी सेवा में जल्द बहाली होगी.

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