क्या हुआ तेरा वादा ….अतिथि विद्वान….नियमितिकरण के लिये परेशान
वरिष्ठ पत्रकार आलोक हरदेनिया की कलम से।
भोपाल – मध्यप्रदेश के शासकीय कॉलेजो में अतिथि विद्वान के रूप में बच्चो को शिक्षा दे रहे । अतिथि प्रोफेसर इस समय बदहाल आर्थिक स्थिति और अनिश्चित भविष्य के दौर से गुजर रहे है। कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव में दिए गये वचन को याद दिलाते हुए,अतिथि विद्वान अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर पद यात्रा पर निकले हुए है। यह यात्रा 4 अक्टूबर को इंदौर से शुरू हुई और 12 तारीख को भोपाल के नीलम पार्क में रैली के माध्यम से कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव के समय दिया गया वचन कमलनाथ सरकार को याद दिलाते हुए नियमितीकरण की मांग करेंगे । आज यह यात्रा सीहोर से आगे आ चुकी है।
वचन को पूरा करने की मांग……
कांग्रेस पार्टी ने सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने के पूर्व अपने वचनपत्र की कंडिका 17.22 में अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर न करने और नीति बनाकर नियमित करने का वचन दिया था। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक *डॉ देवराज सिंह* ने आरोप लगाया है कि सरकार गठन के 10 माह बीत जाने के बाद भी सरकार इस ओर गंभीर नही दिख रही है। बल्कि सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में हुए कथित फर्जीवाड़े की जांच से मुकरते हुए बिना दस्तावेजो की गहन जांच के आनन फानन में नियुक्ति की जल्दी में है। डॉ, सिंह ने कहाँ की अगर सरकार हमारी मांगे नही मानती है तो एक बार फिर महिला प्रोफेसर अपना मुंडन कराने के लिए बाध्य होंगी ।
महिला प्रोफेसर मुंडन के लिए तैयार
डॉ, सिंह ने बताया कि पूर्व की शिवराज सरकार के समय महिला प्रोफेसरो ने अपना मुंडन करवाया था। तब तत्कालीन कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी मिलने आये थे और उन्होंने कहा था कि महिलाएं जब मुंडन कराती है । तो सरकार का सत्यानाश होता है। आज उन्ही की सरकार है। लेकिन उन्हें अतिथि विद्वानों की सुध लेने तक कि फुर्सत नही है ।
पूर्व मुख्यमंत्री भी याद दिला चुके है वचन
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह भी शिक्षक दिवस पर ट्वीट करके प्रदेश सरकार को अपना वचन याद दिला चुके है। इसके बाद भी अभी तक प्रदेश सरकार ने इन अतिथि विद्वान को नियमितीकरण करने की दिशा में फिलहाल कोई कदम नही उठाया है।
राजधानी में 5 हजार अतिथि विद्वान डालेंगे डेरा
प्रदेश भर के अतिथि विद्वान 12 अक्टूबर को राजधानी भोपाल में अपनी मांगों को लेकर डेरा डालेंगे डॉ, सुनीता सोलंकी ,डॉ,सुरजीत सिंह,डॉ, मनीषा पांडेय ने बताया कि सरकार अपने वचन को निभाते हुए अतिथि विद्वानों को नियमित करे और असिस्टेंट प्रोफेसर की जो पीएससी परीक्षा में फर्जीवाड़ा हुआ है। उसकी प्रमुखता से सरकार जांच कराये। यह हमारी प्रमुख मांग है। हम पिछले 20 से अधिक वर्षो से कॉलेज में अपनी सेवाये अतिथि विद्वानों के रूप में दे रहे है। 75 फीसदी सरकारी कॉलेज में शैक्षणिक कार्य हमारे ही द्वारा हो रहा है। और आज सरकार हमारी और ध्यान तक नही दे रही है।
वरिष्ठ पत्रकार आलोक हरदेनिया की विशेष रिपोर्ट।
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कमलनाथ सरकार के खिलाफ अतिथि विद्वानों का पैदल मार्च। इंदौर से भोपाल तक पैदल यात्रा। 12 को होगी भोपाल में विशाल रैली।