महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के हित में नहीं है पीएससी
अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित कर वादा पूरा करें शिवराज:-डॉ देवराज सिंह
भोपाल : पिछले दो दशकों से से ज्यादा समय से सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में लगातार रिक्त पदों के विरुद्ध सेवा देते आ रहे अतिथि विद्वानों के सामने अब रोज़ी रोटी का संकट आ खड़ा हो गया है। पिछले 26 वर्षों से आर्थिक बदहाली और अनिश्चित भविष्य होने के बावजूद भी पूरी तन्मयता के साथ अतिथि विद्वान लगातार उच्च शिक्षा विभाग में सेवा देते आ रहे हैं।
लेकिन आज तक अतिथि विद्वानों के भविष्य सुरक्षित करने के लिए सरकार ने एक भी ठोस कदम नहीं उठाई है। हाल ही में लगातार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव पीएससी परीक्षा की बात करते रहे हैं जिस पर अतिथि विद्वान महासंघ ने कड़ी आपत्ति जताई है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने कहा है की जिस मुद्दे पर प्रदेश में शिवराज सरकार बनी है उस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर ही सत्ता बीजेपी को मिली है, शिवराज सिंह चौहान सहित कई कैबिनेट मंत्री विपक्ष में रहते हुए भविष्य सुरक्षित करने का वादा किया था लेकिन आज इसके उलट विभागीय मंत्री पीएससी की बात कर रहे हैं जो की बेहद ही निराशाजनक है।
आगे डॉ सिंह ने कहा की कई राज्यों ने अतिथि विद्वानों को नियमित किया है,पूर्व की सरकारों ने भी मध्य प्रदेश में एढाक,तदर्थ, आपाती नियुक्त लोगों को व्यवस्थित किया था लेकिन आज यूजीसी के नियमों के तहत सेवा देते आ रहे अतिथि विद्वानों को नियमित नही किया गया जो की सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है। सरकार को कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण पर मोहर लगानी चाहिए उसके बाद बचे हुए पदों में पीएससी करवानी चाहिए।
वहीं, इस मामले में अतिथि विद्वान महासंघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय का कहना है कि नई शिक्षा नीति के तहत् वार्कलोड लगातार बढ़ रहा है। लेकिन आज सरकार अतिथि विद्वानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने को आतुर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर वर्ग को कुछ ना कुछ दिए हैं लेकिन अतिथि विद्वानों की झोली आज तक खाली है,जबकि अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण मुद्दे पर ही चौथी बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बने हैं।
संघ आग्रह करता है की अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करने के बाद पीएससी के बारे में सोचे सरकार।आज 26 वर्षो से अतिथि विद्वानों के नाम से शोषणकारी अतिथि नाम तक सरकार नही हटा पाई है जो की बेहद गंभीर मामला है।सरकार से आग्रह है कि अतिथि नाम हटाकर सहायक प्राध्यापक करे।