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MP : 8 सूत्रीय मांगों को लेकर अब बिजली कर्मचारियों ने सरकार को दी हड़ताल पर जाने की चेतावनी, कही ये बड़ी बात

मध्यप्रदेश/भोपाल – मध्यप्रदेश में अब बिजली कर्मचारियों ने 8 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार को हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी हैं। सभी कर्मचारी 10 मई से हड़ताल पर जाएंगे। इस हड़ताल में 45000 बिजली आउटसोर्स कर्मचारी शामिल होंगे।

मध्य प्रदेश बिजली निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा और मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एंप्लॉय एवं इंजीनियर के आव्हान पर प्रदेश भर के 45000 बिजली आउटसोर्स कर्मचारी 10 मई से बिजली संबंधित कार्य का बहिष्कार करेंगे।

दरअसल, कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें भी फ्रंटलाइन वर्कर में शामिल किया जाए। बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया कि पिछले साल बिजली कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर कोरोना योद्धा में शामिल किया गया था। लेकिन इस बार इन्हें शामिल नहीं किया गया। 

कर्मचारी नेता रमेश राठौर ने कहा लंबे समय से सरकार से कई मांगों को लेकर बातचीत चल रही थी। लेकिन सालों बाद भी मांगों को नहीं माना गया इसलिए अब हड़ताल के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा हैं। सरकार को हमारी मांगें पूरी करनी चाहिए। यदि कर्मचारी हड़ताल पर चले गए तो प्रदेश में बिजली गुल हो जाएगी और इसकी जिम्मेदार सरकार खुद होगी।

ये हैं 8 सूत्रीय मांग

  • बिजली कंपनियों से ठेकेदारी प्रथा खत्म कर नई भर्ती में बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाए।
  • बिजली कंपनियों में आउटसोर्स कर्मचारियों के जो नए टेंडर हुए हैं उसमें आउट सोर्स कंपनियों द्वारा अवैध वसूली की जा रही है उस पर तुरंत लगाम लगाई जाए।
  • बिजली कंपनियों में आउटसोर्स कर्मचारियों के नए टेंडर हुए हैं. जिसमें पुराने बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों को निकाला जा रहा है संगठन की मांग है पुराने आउट सोर्स कर्मचारियों को यथावत नौकरी पर रखा जाए।
  • बिजली विभाग को मुख्यमंत्री कोविड-19  योद्धा कल्याण योजना में शामिल किया जाए।
  • बिजली आउट सोर्स कर्मचारी का बिजली कंपनियों में संविलियन किया जाए।
  • विद्युत दुर्घटना में मृत कर्मचारी के परिवार को 2000000 का मुआवजा राशि प्रदान की जाए।
  • बिजली कंपनियों ने नियमित कर्मचारियों, संविदा कर्मचारियों को अग्रिम चिकित्सा राशि प्रदान की हैं। बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों ने उन्हें भी अग्रिम चिकित्सा राशि में शामिल करने की मांग की हैं।
  • बिजली कंपनियों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।

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