MP : इन 11 मांगों को लेकर अधिकारी-कर्मचारी कलेक्टरों को सौंपेंगे ज्ञापन, सड़कों पर उतरने की बनाएंगे रणनीति

भोपाल : मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा सुर्खियों में है। आज अधिकारी-कर्मचारी अपनी 11 मांगों को लेकर प्रदेशभर में कलेक्टरों को ज्ञापन सौपेंगे।
दरअसल, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग तेज होती जा रही है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारियों ने तो 13 मार्च को बड़े आंदोलन की भी तैयारी कर ली है। प्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारियों ने शिवराज सरकार को चेताता हुए कहा है कि अगर बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जाती है तो 13 मार्च को बड़ा आंदोलन होगा। लेकिन उस से पहले आज अपनी 11 मांगों को लेकर अधिकारी-कर्मचारी प्रदेशभर में कलेक्टरों को ज्ञापन सौपेंगे।
ये है 11 मांगें
- निगम मंडलों में छठवां एवं पंचायत सचिवों को सातवां वेतनमान अभी तक नहीं दिया गया।
- एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जा रही।
- इंक्रीमेंट और एरियर की किश्त नहीं दी गई।
- स्वास्थ्य बीमा योजना लागू नहीं की जा रही।
- महंगाई भत्ता देने में सरकार पीछे।
- प्रदेश के हजारों अधिकारी-कर्मचारी वर्ष 2016 से प्रमोशन की राह देख रहे।
- पदनाम परिवर्तन, दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी, कोटवार, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा रहा।
- अनुकंपा नियुक्ति में सरलीकरण नहीं। इस कारण हजारों परिवार ऑफिसों के चक्कर लगा रहे।
- आवास भत्ते की दरें नहीं बढ़ाई जा रही।
- आशा, उषा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, जन स्वास्थ्य रक्षकों की मांगों का निराकरण नहीं हो रहा।
- जिन संवर्गों में वेतन विसंगति व्याप्त है, उनकी वेतन विसंगतियां दूर नहीं की जा रही है।
बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चे के बैनरतले करीब 61 संगठन ज्ञापन देंगे। मांगें पूरी न होने पर बजट के बाद कर्मचारी संगठन सड़कों पर उतरने की रणनीति बनाएंगे। इससे पहले संघ के महासचिव राजेश मिश्रा ने बताया था कि पुरानी पेंशन लागू करने के लिए प्रदेशभर में कई बार धरना प्रदर्शन किए जा चुके हैं। लेकिन सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। मजबूरी में हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।