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सिहोरा : रेत माफियाओं के सामने नतमस्तक प्रशासन,मुख्यमंत्री शिवराज के आदेश की धज्जियाँ उड़ा रहे ,जमकर चल रहा बंदरवाट 

सिहोरा : रेत माफियाओं के सामने नतमस्तक प्रशासन,मुख्यमंत्री शिवराज के आदेश की धज्जियाँ उड़ा रहे ,जमकर चल रहा बंदरवाट 

 

  • रेत माफियाओं के आगे नतमस्तक हुआ प्रशासन उनके नाम पहन ली है चूड़ियाँ…. 
  • थाने आने के 5 मिनिट के अंदर छोड़ दी जाती है ट्रैक्टर ट्राली 
  • ग्रामीणों का सवाल :- छोड़ना ही है तो पकड़ने का ढोंग क्यों करती है पुलिस ??

द लोकनीति डेस्क सिहोरा  
मझगवा सरोली :
 मझगवा थाना क्षेत्र अंतर्गत रेत के घाटों से अवैध उत्खनन की खबर अनेकों बार प्रकाशित करने के बाद भी उच्च अधिकारियों के कान में जू भी नहीं रेंग रही। अब पत्रकारों की स्याही ख़त्म होने को है लेकिन घूसखोरों का पेट अभी तक नहीं भर पा रहा है इसलिए जमकर तेरा -मेरा बंदरवाट जारी है।  

प्रशासन बना माफियाओं की कटपुतली ….. मुख्यमंत्री शिवराज का माफियों के खिलाफ युद्ध को हवा में उड़ा रहें। … 
 ऐसा प्रतीत होता है जैसे पूरा प्रशासन माफियाओं की कटपुतली बना हुआ है। एक तरफ तो मुख्यमंत्री के आदेश के तहत भू माफिया जिसने सिर्फ भूमि पर कब्जा किया हुआ है उनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। परन्तु जो माफिया निरंतर जीवन दायनी नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं उन्हें प्रशासन एवम् पुलिस का भरपूर सहयोग प्रदान है। अगर कोई सिपाही गलती से ट्रैक्टर ट्रॉली ले भी आता है तो एक फोन से उसे तुरंत छोड़ दिया जाता है। जिससे माफियाओं के हौसले और बुलंद होते जा रहे हैं। जिसका खामियाजा भोली -भाली जनता को भोगना पड़ रहा है। 
माफियाओं द्वारा जितना पैसा प्रशासन को बांटा जाता है आखिर वह पैसा घूम फ़िरकर आम आम लोगों से ही लिया जाता है प्रतिदिन 200-250 ट्राली रेत नदी से निकाल कर बैची जा रही है। परन्तु स्टॉक रोयल्टी गिनती की ही दी जाती है। 1800 रुपए में टोकन दिया जाता है जिसका पूरा पैसा माफिया के जेब में जाता है। जनता की हितैषी बनने वाली सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही। क्षेत्र से गुजरने वाली हिरण नदी लाखों लोगों के लिऐ जीवन का मुख्य स्रोत है जिससे सिंचाई, एवम् आम जन एवम् पशु पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं। परन्तु आने वाले कुछ समय मेे क्षेत्र को सुखा घोषित करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। ठेकेदार तो अपना पैसा ले कर अपने क्षेत्र चले जाएंगे। परन्तु इसका खामियाजा भोगना पड़ेगा क्षेत्र कि जनता को। 
रेत माफियाओं के सामने नतमस्तक प्रशासन चंद सिक्कों की खनक में बिक जाता है थाना
मझगवा थाना इन दिनों बड़ी दयनीय स्थिति से गुजर रहा है जहां आम जन परेशान और माफिया और बदमाश मौज में हैं कोई भी अपराध हो चाहे बड़ा या छोटा कुछ पैसों में ही काम हो जाता है। पुलिस स्टाफ से ज्यादा यहां इन दिनों दलाल सक्रिय हैं। सूत्रों के मुताबिक अनेक एैसे अवैध काम भी क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं जिसमें थाने का स्टाफ ही पार्टनरशिप मेे है। सूत्रों के अनुसार  कुछ दिनों पहले कुम्ही सतधारा मेे गांजा पकड़ा गया था जिसका केस नहीं बना, दो ट्रेक्टर ट्रॉली पकड़े गए जिसे छोड़ दिया गया। मझगवा के एक व्यक्ति के घर दो आरक्षक घर पर घुसे युवक के बताए अनुसार दोनों आरक्षक घर पर आए और बोलने लगे कि अगर तुझे शराब बेचना है तो मुझे 500 रुपए प्रतिदिन दे। और घर पर रखे 2000 रुपए और कंगन चूड़ी ले गए। जिसकी शिकायत करने पीड़ित जब थाने गया तो उसे समझा बुझा कर भेज दिया गया असंतुष्ट होकर पीड़ित ने एसडीएम और एसपी से भी इसका शिकायत कि जिसके बाद एसडीओपी ने मामला संज्ञान में लिया ऐसी जानकारी है कि एक आरक्षक को कार्यवाही पूरी होने तक एसडीओपी ऑफिस बुला लिया गया है। मझगवा थाने में इन दिनों बंदरबांट चल रहा है। जिसे जहां से मिल रहा है वह वहां से पैसे वसूलने मेे लगा हुआ है। 
बड़ा सवाल –  जब छोड़ना ही है तो पकड़ने का ढोंग क्यों करती है पुलिस ??
ग्रामीणों का कहना है कि इतने समय से अवैध खनन एवम् परिवहन का काम हो रहा है इसकी जानकारी होने के बाद जब पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करती तो बीच बीच में ट्रैक्टर ट्रॉली पकड़ कर थाने क्यों ले कर आती है या तो जो आरक्षक ट्रैक्टर ट्रॉली पकड़ कर लाते हैं उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि पुलिस द्वारा माफियाओं को खुली छूट दी गई है। या तो गाड़ी पकड़ कर  माफियाओं को यह याद दिलाया जाता होगा कि समय पूरा हो चुका है अब अगली किस्त भेजी जाए? 
खबर प्रकाशित करने का तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि उच्च अधिकारी अवैध खनन को रोकने का प्रयास करें। इस बार खबर इसलिए प्रकाशित कि जा रही है कि उस जीवन दायिनी नदी जिसका अमृत तुल्य पानी जिस व्यक्ति ने पिया हो। उसको बचाने का प्रयास जनता खुद करे। क्योंकि सरकार और प्रशासन का कार्य नदी को सिर्फ व्यापारिक दृष्टिकोण से देखना है कि जितना अधिक से अधिक राजस्व मिल सके ले लो जिसका फायदा ठेकेदार उठाते हैं। लोगों से मोटी रकम वसूल कर चंद हिस्सा सरकार की झोली में डाल देते हैं। और सरकार माफियाओं के सामने नतमस्तक हो जाती है।

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