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MP Byelection 2020 : शुरू हो गया पॉलिटिकल ड्रामा, शिवराज के घुटने टेकने से लेकर ग़रीब  #Mainbhishivraj का कारनामा

MP Byelection 2020 : शुरू हो गया पॉलिटिकल ड्रामा, शिवराज के घुटने टेकने से लेकर ग़रीब  #Mainbhishivraj का कारनामा

  • सत्ता को बचाने के लिए बीजेपी लगा सकती है कोई भी सट्टा
  • उपचुनाव से सत्ता पाने बीजेपी -कांग्रेस के बीच शुरू हुआ भारी घमासान
  • बीजेपी को सत्ता के लिए 9 सीट ,कांग्रेस को जीतनी होगी हर सीट 

शशांक तिवारी की विशेष रिपोर्ट 
द लोकनीति डेस्क भोपाल 
” राजनीति में न कोई पूरी तरह दोस्त होता है न कोई पूरी तरह दुश्मन “।
ये शब्द मध्यप्रदेश की राजनीति में सटीक बैठ रहे हैं, क्योंकि दशकों से कांग्रेस का दामन थामे सिंधिया औऱ उनके साथ 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया औऱ पूरे मध्यप्रदेश को जोर का झटका देते हुए कमलनाथ औऱ दिग्गजों को चारों खाने चित कर दिया था। अब सिंधिया करते भी क्यों न उन्हें केंद्र की राजनीति में जो जाना था। सूत्रों की मानें तो MP में सिंधिया को ऑपरेशन लोटस को सफल बनाने की  जिम्मेदारी  मिली थी।

उनकी बात सीधे केंद्र के बड़े नेताओं से होती थी।  डील भी दिल्ली में हुई ,राजनैतिक सूत्रों की माने तो सिंधिया बहुत पहले से बीजेपी के अरुण जेटली  के संपर्क में थे लेकिन उनके अचानक निधन होने के बाद उनकी क्लियर कट बात नहीं हो पा रही थी। राजनीति में जब तक क्लियर कट बात नहीं होती तब तक कोई निर्णय या उलटफेर नहीं किया जाता । फिर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही जे पी नड्डा, नड्डा के आने के चंद महीने बाद ही सिंधिया की डील होनी शुरू होती है बदले में केंद्र को  मध्य प्रदेश की खोई हुई सत्ता वापस तोहफ़ा मेँ चाहिए थी । मध्यप्रदेश की राजनीति में भूकंप आने ही वाला था, जैसे तैसे  बिकाऊ विधायक से बात बनी तो ऑपरेशन लोटस मध्यप्रदेश में वो 17 दिन के political drama के बाद आखिरकार सफ़ल हुआ। जिसे आप मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश राजपूत की किताब “वो 17 दिन “ के political drama में पढ़ सकते हैं। 

महाराज के दांव पेंच से मिली शिवराज को सत्ता लेकिन अपने ही क्षेत्र में पोस्टर से हुए ग़ायब
MP के मामा शिवराज को फ़िर से खोई हुई सत्ता बाग़ी सिंधिया औऱ उनके 22 विधायक के बाग़ी होने से तो मिल ही गई औऱ सिंधिया जिन्हें अभी तक ग्वालियर औऱ चम्बल क्षेत्र की जनता  King (महाराज) मानकर बैठी थी वे बन गए Kingmaker सिंधिया।  बाग़ी होने के बाद जब पहली बार अपने आप को जनता के सामने औऱ मीडिया में दिखे तो उन्होंने कहा “टाइगर अभी जिंदा है”
टाइगर क़भी बाग़ी नही होते लेकिन राजनीति में ऐसे टाइगर की प्रजाति मिल जाती है खैर मध्यप्रदेश के जंगलों में असली टाइगर मिलते हैं उनमें ऐसी नस्लें शायद नहीं मिलेगी।
अब यह टाइगर “बाग़ी” है औऱ साथ में बागियों की दो क्रिकेट टीम लेकर आया है तो इसे इतने ज़ल्दी बीजेपी का परिवार कैसे स्वीकार करेगा ? बड़े नेताओं ने तो कर लिया लेकिन छोटे- छोटे  बूथ लेवल के कार्यकर्ता जिन्हें बड़े नेता अपनी पूंछ समझकर बैठ चुके हैं । पार्टी कोई भी हो लेकिन कार्यकर्ता जमकर नारेबाजी औऱ झंडा उठाकर ही चलते हैं । जिसके कार्यकर्ता ने जितनी मेहनत की उसे उतना अच्छा चुनाव नतीजा मिला इतिहास यही रहा है। क्योंकि उन कार्यकर्ताओं को ये नहीं समझ आ रहा जिन सिंधिया औऱ उनके खानदान के खिलाफ अब  तक हमने नारेबाजी की,  लेकिन अब हमें राजनीति के लिए उन्हीं  के समर्थक बनकर उन्ही के इशारों पर नाचना हैं।  आज वो हमारे साथ है हमें तो केवल आकाओं का फ़र्ज़ निभाना औऱ चुनाव जितवाना है।
यह सभी पार्टियों का मक़सद होता है।
कांग्रेस में भी कम नहीं गुटबाजी : दिग्गी ने काटा है अच्छों-अच्छों के पत्ते ,कमलनाथ सबके लिए अच्छे

काँग्रेस पार्टी भी अपनी इस स्थिति को लेकर सोच रही है  ” क्या से क्या हो गया देखते देखते ” ।
जिन सिंधिया को कांग्रेस युवाओं का मसीहा बता रही थी उसी युवा ने कांग्रेस के एक्सपायरी डेट के नेताओं को राजनीति सिखा दी ।
अभी  तककमलनाथ चुनौती औऱ चुनावों के लिए जाने जाते हैं  देखना होगा कि कांग्रेस क्या बाग़ी नेताओं को लेकर जमकर घेराव कर पाती है औऱ जनता से उपचुनाव में कितना समर्थन मिल पाता है । भीड़ को देखकर लग रहा कांग्रेस अपने पुराने दिनों के लिए बढ़ रही है, लेकिन उसे बीजेपी से पाँच गुना ज्यादा मेहनत करनी होगी क्योंकि वह आंकड़ो में बहुत पीछे है।

जब CM शिवराज ने सभा में टेके घुटने, तो कमलनाथ ने कहा वोट के लिए ढोंग


सीएम शिवराज ने कहा है कि उनके लिए तो मध्य प्रदेश की जनता ही भगवान है. सीएम ने ऐलान किया कि अब वे हर सभा को सम्बोधित करने से पहले घुटनों के बल शीश नवाऐंगे  और कोहनी जोड़कर परनाम  करेंगे।  दरअसल, 9 अक्टूबर को सीएम ने सुवासरा में एक सभा के दौरान उम्मीदवार हरदीप सिंह डंग के समर्थन में घुटनों पर बैठकर जनता से वोट देने की अपील की थी, जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि शिवराज वोट लेने के लिए ढ़ोंग कर रहे हैं ।

MP के मामा शिवराज ने जनता का मूड पढ़ लिया है औऱ मूड में गड़बड़ी को भांपते ही नतमस्तक होने के अलावा कुछ नहीं सूझा
पहले यही नेता पैर दबाते हैं  फ़िर आपके पैर काट भी लेते हैं तो जनता को अब समझ आ चुका है यह राजनीति है यहाँ कुछ भी किया जा सकता है बस सत्ता बची रहना चाहिए।।सत्ता रहेगी तो हमारी कुर्सी बनी रहेंगी तभी हम जनता पर राज कर सकेंगे – #राजनीति ।।
#Mainbhishivraj से याद आया लोकसभा चुनाव का  #MainBhiChoukidaar.


पैर पड़ने से काम नहीं चला तो मुख्यमंत्री शिवराज (मामा उर्फ़ किसान पुत्र उर्फ़ #ग़रीब ) #Mainbhishivraj का हैशटैग चलवा रहे हैं जाहिर है इसमें IT सेल का विशेष योगदान होगा औऱ हर ट्वीट के लिए रक़म अदा की जानी होगी। खैर चुनाव में बीजेपी की ऐसी ही तैयारी उसे जीत के औऱ क़रीब लाकर खड़ा कर देती है। ऐसी ही स्थिति 2019 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिली थी। जब विपक्ष के नेता राहुल गाँधी ने चुनावी रैली के दौरान कहा “चौकीदार चोर है ” तो इस मुद्दे को भाजपा ने लपक लिया और IT सेल की टीम ने #MainBhiChoukidaar पूरे देश में चलाया ।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से लेकर आम बूथ कार्यकर्ता ने अपनी DP तक बदल ली थी इसका फ़ायदा यह हुआ कि बीजेपी पहले से ज्यादा अधिक बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर पहुँच गई।  खैर अब चौकीदार बने रहने वाले लड़के बुरी तरह बेरोजगारी की मार से सचमुच चौकीदार तक की नौकरी करने को तैयार बैठे है लेकिन अब वो भी नसीब नहीं हो पा रही है। 2 करोड़ रोजगार का वादा भी 15 लाख जैसा चुनावी जुमला साबित हो गया। अब हालात यह है कि कोरोना की वजह से करोड़ो युवाओं ने अपना रोज़गार भी खो दिया है। 

अब देखना मध्यप्रदेश की जनता को है? जनता जनार्दन है। वह जो चुनेगी अपना अच्छा भला औऱ स्वार्थ के लिए चुनेंगी??
 राजनीति में क्या बाग़ी culture जनता स्वीकार करती है या नहीं ।।

पूरे देश की निगाहें मध्यप्रदेश के उपचुनाव में जरूर होगी ???
खरीद फरोख्त की राजनीति किसी जनता को क़भी पसंद आयी है या नहीं इसका जवाब मध्यप्रदेश के उपचुनाव में आपको समय के साथ देखने को मिल ही जाएगा।

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