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प्रेरक: कोरोना काल में उत्तराखंड के इस शिक्षक ने पूरे गाँव को ही बना दिया स्कूल

By: Anjali Kushwaha

उत्तराखंड: उत्तराखंड के कल्याण मनकोटी कोरोना काल में एक समर्पित शिक्षक के रूप में सामने आए. जिन्होंने स्कूल बंद होने और ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा ना होने के कारण देश के बिना इंटरनेट की सुविधा वाले ग्रामीण और दूर-दराज़ क्षेत्रों के बच्चों को मुफ्त पढ़ाना जारी रखा.कल्याण मनकोटी ने शहर की आरामदायक ज़िंदगी को छोड़कर कोरोना काल में गांव के बच्चों को प्रकृति की छांव में शिक्षा देने का महान बीड़ा उठाया है.

कोरोना आपदा का सबसे ज्यादा स्कूली शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ा है. शहरों में ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से बच्चे फिर भी पढ़ाई कर पाने में सक्षम हैं. लेकिन देश के दूर-दराज़ और विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों के रहने वाले बच्चों को यह सुविधा बहुत अधिक नहीं मिल पा रही थी. ऐसे में उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िला स्थित आसो गांव के रहने वाले कल्याण मनकोटी एक समर्पित शिक्षक के रूप में सामने आए.

कल्याण, प्रतिदिन अल्मोड़ा शहर से 35 किलोमीटर की दूरी तय करके चनोली गाँव के एक जूनियर स्कूल में पढ़ाने जाया करते थे. वह बच्चों को केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं रखते थे, बल्कि उन्हें प्रकृति से जोड़कर एक प्रबुद्ध नागरिक के रूप में भी तैयार करते थे. साथ ही वह, बच्चों को तमाम सामाजिक संदर्भों से रिश्ता बनाए रखने और उनमें दिलचस्पी पैदा करने का प्रयास करते हैं.

उनके इस अहम कदम में उनकी बेटी ने भी उनका भरपूर साथ दिया. महामारी के दौरान भी छात्रों को अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद करने के लिए पुलिसवालों ने भी सहयोग करते हुए उन्हें गांव जाने का रास्ता दे दिया.

अपनी पहल शुरू करने से पहले उन्हें विभिन्न कागजी कार्रवाई पूरी करनी पड़ी. इसके बाद उन्हें शिक्षा के प्रति अपने उद्देश्य को पूरा करने में कोई रुकावट नहीं आई. उन्होंने बच्चों के एक छोटे समूह के साथ जंगल के पास, एक खेत में सीखने, पढ़ने और समझने की कवायद शुरू की.

उन्होंने बताया कि, “एक बार जब बरसात के दिन में गीले खेत में कक्षाएं लगाना मुश्किल हो गया तो उन्हें सड़क से जुड़ी पत्थर की छत वाला एक विशाल खाली और बंद घर नज़र आया. बारिश बंद होने के तुरंत बाद, बच्चे उस छत पर बैठ गए और पढ़ाई शुरू कर दी. तब से, जब भी बारिश होती है, छत हमारी कक्षा बन जाती है.” कल्याण मनकोटी की इस पहल में अब बेटी के साथ-साथ उनके कुछ पुराने छात्र भी जुड़ गए, जो वर्तमान में विश्वविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर रहे हैं. इनमें से कुछ चनोली गांव के हैं, जबकि बाकी छात्र बारी-बारी से गांव आकर दो-चार दिन रहते हैं और बच्चों को विभिन्न रुचिकर विषय भी पढ़ाते हैं.

कोविड-19 के नाजुक और संवेदनशील समय में भी कल्याण मनकोटी ने ग्रामीणों के सहयोग से शिक्षा की जो ज्योति जलाई है, अब उसकी चर्चा दूर-दूर तक होने लगी है और इस नेक में कई लोग उनके साथ जुड़ गए हैं.

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