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Monkeypox : वायरस के “स्ट्रेन” को आइसोलेट करने में भारत भी मिली सफलता, अब “वैक्सीन” होगी तैयार

नई दिल्ली : इस समय दुनिया और देश में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का कहर बढ़ता जा रहा है। दुनिया की बात करें तो मंकीपॉक्स 78 देशों तक फैल गया है। इन देशों में मंकीपॉक्स के 18 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसमें से 70 फीसदी केस यूपोरियन क्षेत्रों से हैं। वहीं 25 फीसदी केस अमेरिकी रीजन वाले हैं। दुनिया में मंकीपॉक्स की वजह से अबतक पांच मौतें हुई है, इसके अलावा कुल केसों में से 10 फीसदी को हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है।

भारत में भी मंकीपॉक्स (Monkeypox) के 4 मामलें सामने आ चुके है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन {WHO} ने भी इसे इमरजेंसी घोषित कर दिया है। इसी बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। इस वायरस के स्ट्रेन को आइसोलेट करने में भारत ने सफलता हासिल कर ली है। बता दे कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) पुणे ने मंकीपॉक्स वायरस के स्ट्रेन को आइसोलेट कर लिया है। यह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ही एक संस्था है। अब इस वायरस को वैक्सीन और डायगनोस्टिक किट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

गौरतलब है कि मंकीपॉक्स (Monkeypox) के बढ़ते खतरे के बीच इसकी वैक्सीन को लेकर तैयारी तेज हो गई है। ICMR ने वायरस को आइसोलेट और शुद्धिकरण (purification) करने की विधि और प्रोटोकॉल के बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) और कमर्शियल राइट्स को सुरक्षित कर लिया है। अब ICMR मंकीपॉक्स की वैक्सीन के डेवलपमेंट के लिए आइसोलेट वायरस का इस्तेमाल कर सकता है। इसके लिए जल्द दवा, फार्मा और वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ करार किया जा सकता है।

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