चंद्रशेखर आज़ाद का 89 वां शहीद दिवस आज, देश के लिए दी थी अपने प्राणों की आहुति
- चंद्रशेखर आज़ाद का 89 वां शहीद दिवस आज
- चंद्रशेखर आजाद का कहना था, ‘मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है
नई दिल्ली : आयुषी जैन : आज महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि है। आज वो खाास दिन है जब मातृभूमि के लिए चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। 27 फरवरी 1931 में इलाहाबाद के एलफेड पार्क में अंग्रेजों का अकेले सामना करने के बाद चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मार ली थी। 23 जुलाई, 1906 में चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाभरा नामक जगह पर हुआ था। चंद्रशेखर आजाद का कहना था, ‘मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है’। आपको बता दें कि चंद्रशेखर आजाद के क्रांतिकारी विचारों के थे और इस वजह से वह उस समय उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। चंद्रशेखर आजाद के विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं।
आजाद को 15 कोड़ों की सजा दी गई थी. चंद्रशेखर आजाद के विचारों ने युवाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए काफी प्रेरित किया था.
आज़ाद के प्रेरणादाई नारे जो जन्म – जन्मांतर तक अमर रहेंगे-
- 'दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे.'
- 'मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है.'
- 'यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है, तो उसका जीवन व्यर्थ है.'
- 'अगर आपके लहू में रोष नहीं है, तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है. ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वो मातृभूमि के काम ना आए.'
- 'दूसरों को खुद से आगे बढ़ते हुए मत देखो. प्रतिदिन अपने खुद के कीर्तिमान तोड़ो, क्योंकि सफलता आपकी अपने आप से एक लड़ाई है.'
- 'मैं ऐसे धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है.'
- 'चिंगारी आजादी की सुलगती मेरे जिस्म में हैं. इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं. मौत जहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है. कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है'