क्या है उत्तर भारत का सोमनाथ कहे जाने वाले भोजेश्वर मंदिर की खासियत?

* एक ही पत्थर से बना दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग
* क्यों पूरा नहीं हो सका शिवलिंग का शिखर कार्य?
भोजपुर/भोपाल: पुरे भारतवर्ष में आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जा रहा है। भोपाल से सटे भोजेश्वर मंदिर में सुबह से ही भक्त लम्बी क़तार में बाबा के दर्शन के लिए खड़े हैं। प्रातः से ही शिव भक्तो के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए हैं। यहां हज़ारों की संख्या में शिव भक्त आते हैं और अपनी कामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
दरअसल, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूर यह भगवान शिव का भोजेश्वर मंदिर भोजपुर में स्थित है। इस मंदिर में बना शिवलिंग, एक ही पत्थर से बना हुआ दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है। इस शिवलिंग की ऊंचाई 7.5 फ़ीट और चौड़ाई 17.8 फ़ीट है, जो स्थापत्य कला का एक बेमिसाल नमूना है। इस मंदिर को “उत्तर भारत का सोमनाथ” कहा जाता है।
माना जाता है, कि इस मंदिर का शिखर निर्माण कभी पूरा नहीं हो सका। शिखर को पूरा करने के लिए जो भी प्रयास किये गए उसके अवशेष अब भी मंदिर के प्रांगण में बड़े-बड़े पत्थरों के रूप में पड़े हैं। हालाँकि यह स्पष्ट अभी तक नहीं हो पाया कि मंदिर के शिखर का निर्माण क्यों नहीं हो सका। यह मंदिर बेतवा नदी के किनारे एक ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है।
किसने करवाया था मंदिर का निर्माण?
भोजेश्वर मंदिर का निर्माण धार के राजा भोज ने 1010 ई से 1055 ई के बीच कराया था। भोजपुर नगर को आज शायद बहुत कम लोग ही जानते हैं। पर मध्यकाल में इस नगर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई थी। इस नगर को परमार वंश के राजा भोज ने स्थापित करवाया था। और उन्ही के नाम पर इसका नगर का नाम भोजपुर पड़ा।
क्यों मानते हैं महाशिवरात्रि पर्व?
महाशिवरात्रि के इस महापर्व को भारतीय बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मानते हैं। इस दिन भगवन शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन महिलाएं एवं पुरुष अपनी मनोकामनाओं को पूरी करने के लिए व्रत रखते हैं। भगवान शिव की पूजा दूध चढाने और बेलपत्तर के पत्ते चढ़ाकर की जाती है।