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मध्यप्रदेश का अनोखा विकास, भोपाल बना नं. 1, प्रदूषण की श्रेणी में शामिल हुए प्रदेश के 14 शहर

भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव :- प्रदूषित शहरों की श्रेणी में भोपाल (Bhopal) ने पूरे देश में प्रथम स्थान ग्रहण किया है। भोपाल प्रदेश का पहला और देश का 63वां प्रदूषित शहर बन गया
ग्रीनपीस इंडिया ( Greenpeace India ) के रिपोर्ट द्वारा प्रदूषित शहरों की लिस्ट जारी की गई। जिसमे मध्यप्रदेश के 14 शहर शामिल हैं।

इन शहरों में ग्वालियर, जबलपुर और सिंगरौली समेत एमपी के अन्य शहर शामिल हैं।
ग्रीनपीस के मुताबिक भोपाल प्रदूषित शहरों की श्रेणी में इसीलिए है क्योंकि यहां पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) यानी पीएम-10 का स्तर बीते 6 साल से प्रदेशभर में सर्वाधिक बना हुआ है।

भोपाल के बाद प्रदेश में दूसरे स्थान पर ग्वालियर ( Gwalior ) है, जो देश में 66वां सर्वाधिक प्रदूषित शहर है।
साथ ही साथ यह भी खुलासा हुआ है कि देश भर के 287 शहरों में से 231 शहर प्रदूषित हैं। 
जहाँ भोपाल को एक तरफ स्वच्छ शहर बनाने की बात की जाती है बड़े बड़े अभियान चलाए जाते हैं उसी शहर का यह अहम् खुलासा ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट ने किया है।

इस रिपोर्ट से ऐसा मालूम होता है कि राजधानी भोपाल भी दिल्ली की तरह ही प्रदूषित हो चुकी है।

प्रदूषण के मुख्य कारण :-

प्रदूषण का मुख्य कारण है इंफ्रास्ट्रक्चर और व्हीकल्स से निकलता हुआ धुँआ।जिसकी वजह से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
साथ ही साथ उद्योगों से होने वाले प्रदूषण भी मुख्य हैं।
सिंगरौली ( Singrauli ) में कोयले उत्खनन की 11 माइंस हैं। जब कोयले निकालने की प्रोसेसिंग की जाती हैं तो वायु प्रदूषण होता है। हांलाकि एनजीटी इस मामले में  काफी सख्त रहा है पर प्रदूषण अभी तक खत्म नहीं हुआ।
सिंगरौली में इतना अत्यधिक प्रदूषण है की अगर कोई सफ़ेद शर्ट पहन कर निकले  तो कोयला माइंस तक पहुँचते पहुंचते प्रदूषण के कारण  शर्ट काला हो जाना लाज़मी है।

वहीं ग्वालियर ( Gwalior ) की बात करें तो यहाँ पर कई सड़क निर्माण कार्य अधूरे हैं जिसकी वजह से धूल में पीएम -10 ( PM-10 )का कण लगातार बढ़ रहा है।  रोज़ाना इन सड़कों पर हज़ारों गाड़ियां गुज़रती हैं और अपने साथ धूल उड़ाते हुए ले जाती हैं। वहीं इस मामले में सरकार का कहना है कि हम लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे और बहुत ज़ोरों शोरो के साथ स्वच्छता अभियान भी चलाया जा रहा था। हांलाकि शहर में स्वच्छता अभियान काफी दिनों से चलाए जा रहे हैं।


अब देखना यह होगा कि इस रिपोर्ट के बाद सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए क्या कदम उठाती है ? वैसे साथ ही आपको बता दें कि इस रिपोर्ट के आने के बाद सरकार और नगर निगम मुख्य तौर पर सजग हो गए हैं। देखना बड़ा ही दिलचस्प होगा कि इनकी सजगता क्या रंग लाती है ?

 

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