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नियमों की खुलेआम उड़ाई जा रही हैं धज्जियाँ , बिना एम डी पैथोलॉजिस्ट के जांच नही सुप्रीम कोर्ट आदेश ,जाँच में

नियमों की खुलेआम ,उड़ाई जा रही हैं धज्जियाँ ,
बिना एम डी पैथोलॉजिस्ट के जांच नही सुप्रीम कोर्ट आदेश ,जाँच में 

(सांकेतिक फ़ोटो) 

बड़वानी से हेंमंत नागझिरिया की रिपोर्ट

  • संभाग मुख्यालय से लेकर जिले के कोने-कोने में संचालित पैथोलॉजी लैब लूट का अड्डा साबित हो रहे हैं।इन पैथोलॉजी लैब में मरीजों को भर्ती करने से लेकर उनकी गंभीर बीमारियों का उपचार करने तक की व्यवस्था मिलती है। वहां न केवल शासकीय प्रावधानों का मजाक उड़ाया जाता है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की भी अनदेखी की जा रही है।
  • जिलान्तर्गत बरसाती मेंढक की भांति उग आए पैथोलॉजी लैब में नियम-प्रावधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
  • इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग का अमला मौन साधे बैठा है। हालांकि विभाग द्वारा दिखावे के तौर पर कभी-कभार कार्रवाई के चर्चे सुनाई पड़ते रहते हैं लेकिन उक्त कार्रवाई के पीछे विभागीय अमले का इरादा केवल अपना वजन बढ़ाने से ज्यादा कुछ नहीं रहता। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पैथोलॉजी लैब को चलाने के लिए एमडी पैथालॉजिस्ट योग्यता धारक का होना जरूरी माना है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब हर कोई व्यक्ति या गैर-योग्यता धारक लोग पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकते।

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के उस निर्णय को सही माना है, जिसमें पैथोलॉजी लैब में पीजी की योग्यता धारकों द्वारा ही जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर को जरूरी बताया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी लेबोरेटरी में रिपोर्ट पीजी पैथालॉजिस्ट द्वारा हस्ताक्षर युक्त नहीं है तो उस स्थिति में उस रिपोर्ट को गलत माना जाएगा।

ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट देने वाली लेबोरेटरी को तत्काल बंद कर देना चाहिए।

 

MBBS को मनाही जिले में अनेक पैथोलॉजी एमबीबीएस, एमडी के क्लीनिक बन गए हैं। वहां पैथोलॉजी की दीवार पर इन चिकित्सकों के नाम लिखे हुए देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं, पैथोलॉजी के भीतर ही मरीजों का उपचार और उन्हें भर्ती करने तक की व्यवस्था बनाई गई है।

हैरानी की बात यह है कि मुख्य मार्गों पर संचालित इन पैथोलॉजी लैब में अब तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नजर नहीं पड़ी या फिर यह कहा जाय कि उन्हें देखकर भी अनदेखा किया जा रहा है। ये है सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देश के तहत जांच रिपोर्ट में साइन करने के लिए पैथालॉजिस्ट का लैब में रहना जरूरी है। इसके अलावा केवल डिजिटल साइन से पैथालॉजिस्ट की रिपोर्ट मान्य नहीं की जानी चाहिए। आदेश के तहत एमबीबीएस और दूसरे विभागों से एमडी पैथोलॉजी लैब नहीं चला सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है

कि लैब टेक्नीशियन जांच रिपोर्ट पर साइन नहीं कर सकेंगे।

क्या होना चाहिए लैब में किसी भी पैथोलॉजी लैब में खून, आरबीसी(R.B.C), ईएसआर(ISR), प्लेटलेट्स काउंट, सीबीसी, ब्लीडिंग टाइम, क्लोटिंग टाइम, हीमोग्लोबिन, ब्लड ग्रुप व टीईसी की जांचें ही होनी चाहिए। किन्तु जिलान्तर्गत कई जगह पैथोलॉजी लैब में ही मरीजों का संपूर्ण इलाज किया जा रहा है। बड़वानी के कई पैथोलॉजी लैब को अस्पताल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जोकि सरासर नियम के विपरीत है।

 

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