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रायसेन: शंकरगढ़ प्राथमिक शाला में शिक्षकों की मौज़

रायसेन: शंकरगढ़ प्राथमिक शाला में शिक्षकों की मौज़

जिले के आला अधिकारी नहीं ले रहे सुध, ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात शिक्षक हुए मनमर्जी के मालिक

रायसेन: मध्यप्रदेश में स्कूल की गुणवत्ता और शिक्षा के स्तर में सुधार जुमला साबित हो रहा है। हकीकत में ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल आज भी 8-8 दिनों तक बंद रहते हैं, और बच्चे शिक्षा से वंचित रहते है। जब इस संबंध में डीपीसी विजय नेमा से बात की तो उनका साफ तौर पर कहना था कि मुझे विश्वास ही नहीं होता कि कोई भी प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय 8-15 दिनों से बंद होगा। लेकिन हकीकत यह हे की रायसेन जिले के अंतर्गत विकासखण्ड बाड़ी के ग्राम शंकरगढ़  जहां प्राथमिक शाला बीते 8 दिनों से इसलिए बंद है। क्योंकि वहां पदस्थ शिक्षक छुट्टी पर चले गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि स्कूल के शिक्षक छुट्टी पर चले जाएं तो क्या बच्चों को उनके मौलिक अधिकार (शिक्षा के अधिकार ) से  भी बंचित किया जाये। लेकिन हकीकत तो यही बयां करती है ।कि शंकरगढ़ प्राथमिक विद्यालय के छात्र छात्राओं की छुट्टी कर उनके शिक्षा के अधिकार से  सिर्फ इसलिए बंचित कर दिया जाता है, क्योंकि शिक्षको को अपने घरेलू काम निपटाने होते है। जन शिक्षक भी आंखों पर पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं , और डीपीसी भी ग्रामीणों की बातों पर विश्वास नहीं होने की बात कहते नजर आ रहे हैं। अब प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभु राम चौधरी की मंशा और सरकार की योजनाओं पर पलीता लगे तो कोई आश्चर्य की बात ना होगी। इससे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता । चाहे अवकाश सरकार ने घोषित किया हो या फिर शिक्षको ने अपनी मनमर्जी से स्कूल में पदस्थ शिक्षकों ने नुकसान तो देश के भविष्य का ही करना है ।

करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने के बाद भी स्कूली शिक्षा में सुधार ?

वही करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने के बाद भी स्कूली शिक्षा में सुधार तनिक मात्र भी दिखाई नहीं दे रहा है। यहां सब मनमर्जी से शिक्षक स्कूल खोलते हैं और बंद कर देते हैं। बात यहीं नहीं रुकती बल्कि स्कूल के भवन की बात भी उतनी ही उलझी दिखाई देती है। जितनी कि स्कूल में पदस्थ शिक्षकों की अवकाश किसने स्वीकृत की किस की मर्जी से वह 8 दिनों से गायब हैं। इसकी जानकारी ना तो जन शिक्षक को है और ना सर्व शिक्षा अभियान के जिला प्रमुख विजय नेमा जी को। शंकरगढ़ प्राथमिक विद्यालय का भवन भी निर्माण एजेंसी द्वारा नहीं निर्माण नही कराया गया। स्वीकृत राशि को ठेकेदार चट कर गया है,और आला अधिकारी जांच कर कार्यवाही करने की दुहाई दे रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है । लेकिन फिर भी प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री और क्षेत्रीय विधायक डॉक्टर प्रभु राम चौधरी यह कहते हुए नहीं थकते कि हमने इन 11 महीनों के अंदर वह फैसले लिए हैं। जो बीती तत्कालीन सरकार 15 सालों में शिक्षा सुधार को लेकर नहीं ले सकी है। अब जब ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की यह हालत है, तो शिक्षा व्यवस्था में कितना सुधार हुआ इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

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