"मध्यप्रदेश" को "मदिरा प्रदेश" नहीं बनने देंगे कहने वाले का "मदिरा प्रेम" हो रहा है उजागर, रात्रि कर्फ्यू 10 बजे से शुरू पर शराब की दुकानें 11 बजे तक चालू
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“मध्यप्रदेश” को “मदिरा प्रदेश” नहीं बनने देंगे कहने वाले का “मदिरा प्रेम” हो रहा है उजागर, रात्रि कर्फ्यू 10 बजे से शुरू पर शराब की दुकानें 11 बजे तक चालू
भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव:-
मध्यप्रदेश में कोरोना का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है इसी बीच अब सरकार ने अलग-अलग जिलों में नए नए नियम लागू कर दिए हैं जैसे बाजार 8:00 बजे बंद होगी शादी में सिर्फ 200 लोग शामिल हो सकेंगे शादी का कार्यक्रम 10:00 बजे तक जारी रहेगा इसके साथ ही रात्रि 10:00 से सुबह 6:00 तक नाइट कर क्यों लगाया जा रहा है…
पर जब सत्ता में कमलनाथ की सरकार थी उस वक्त बार-बार जुमलेबाजी करने वाले शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मदिरा की दुकानें 11:00 बजे तक खुली रहेगी. शिवराज का बार-बार कहना था कि कमलनाथ मध्य प्रदेश को मध्य प्रदेश बनाने की राह पर चल पड़े हैं और इस वक्त जो उनकी सरकार में किया जा रहा है उसके लिए आप सभी को जिस तरह के जुमले इस्तेमाल करने हैं कर सकते हैं.
जो बार-बार यह दावा कर रहे थे कि उनकी सरकार आते ही राज्य का नवीनीकरण हो जाएगा… जनता के सामने राज्य का नया चेहरा आएगा पर यहां तो शिवराज की कई चेहरे नजर आ रहे हैं. शराब की दुकानों से ज्यादा टैक्स हासिल करने के लिए उनकी दुकानों को रात 11:00 बजे तक खुला जा रहा है..
इस पूरे मामले पर एक बार फिर कांग्रेस हुई हमलावर:-
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के पीसीसी चीफ कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर जमकर निशाना साधा है उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कई जिलो में बाज़ार रात्रि 8 बजे बंद , शादियाँ रात्रि 10 बजे बंद, रात्रि कर्फ़्यू 10 बजे से लागू लेकिन शराब की दुकाने रात्रि 11 बजे तक चालू….?
शिवराज सरकार में जनता को राशन भले ना मिले लेकिन शराब ज़रूर मिलती है।
शिवराज सरकार अजब है – उसका मदिरा प्रेम ग़ज़ब है।
समाधान केंद्र पर पहुंचे शिवराज पर क्या वाकई जनता को मिला समाधान:-
1 दिन पूर्व ही शिवराज सिंह चौहान भोपाल के समाधान केंद्र पर खुद पहुंचे और वहां पहुंचकर जनता का फीडबैक लिया..
पर क्या शिवराज के समाधान केंद्र पर पहुंचने से जनता को वाकई समाधान मिल रहा होगा या फिर यह भी मात्र एक छलावा ही है….
क्योंकि शिवराज पर किए हुए कई वादे अब फेल नजर आते हैं..
अतिथि विद्वानों का अब तक नहीं हो सका नियमितीकरण:-
अगर बात अतिथि विद्वानों की कर ले तो उनके फॉलन आउट हुए 1 साल होने को है, पर अभी तक सभी अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण नहीं हो सका है. आर्थिक स्थिति बिगड़ने के चलते कई अतिथि विद्वानों और ने आत्महत्या तक कर ली पर इसका कोई भी असर शिवराज सिंह चौहान पर नहीं पड़ रहा….
जाने सरकार में आते ही इन्हें क्या हो जाता है कि यह अपने किए हुए सभी वादों से मुकर जाते हैं…
अभी आगे-आगे देखना होगा कि मध्य प्रदेश में और क्या स्थिति होती है…