हाय रे भ्रष्टाचार! आँगनबाड़ी के शौचालय तक नहीं बनने दिए! निर्माण किया ही नहीं, पत्नि के नाम से फर्जी बिल लगाकर सचिव ने हड़पी शासकीय राशि

हाय रे भ्रष्टाचार! आँगनबाड़ी के शौचालय तक नहीं बनने दिए !निर्माण किया ही नहीं, पत्नि के नाम से फर्जी बिल लगाकर सचिव ने हड़पी शासकीय राशि
मामला लखनादौन जनपद की देवरी पंचायत का
सिवनी/महेंद्र सिंघ नायक :-वैसे तो ग्राम पंचायतें अपने जनहितैषी कार्यों के लिए कम लेकिन अपने भ्रष्टाचार के लिए विशेष तौर पर जानी जाती हैं। इनमें कुछ ही अपवाद होंगे जो बहुमूल्य शासकीय राशि का सदुपयोग करते हों, अन्यथा पंचायत के सरपंच, सचिव शासकीय राशि दुरूपयोग मामले में हमेशा शिखर पर रहते हैं। कार्य किए बिना राशि निकाल कर खा जाना, कार्य की गुणवत्ता खराब रखकर अतिरिक्त लाभ कमाना और इसके साथ-साथ अब अपने ही परिवार जनों के नाम पर फर्जी फर्म बनाकर शासन की राशि हड़पना इनके नये तरीके के रूप में उभर रहा है।
भ्रष्टाचार और शासकीय राशि गबन का ये मामला लखनादौन जनपद की ग्राम पंचायत देवरी (भंगीभोई) में सामने आया है। राज्य शासन ने स्वच्छ भारत योजना के तहत आँगनबाड़ी भवनों में शौचालय की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए राशि जारी कर ग्राम पंचायतों को इसके निर्माण हेतु अधिकृत किया है। लेकिन देवरी पंचायत की सरपंच चाँदनी मरावी और सचिव हरिशंकर यादव अपने निज स्वार्थ के चलते इन शौचालयों का निर्माण न करके या अधूरा करते हुए फर्जी बिल लगाकर राशि ऐंठ चुके हैं।
फ़र्ज़ी बिल :-
पंचायत दर्पण बेबसाइट के अनुसार ग्राम पंचायत देवरी में दिनांक 26/01/2020 को महिला एवं बाल विकास के आंगनबाड़ी शौचालय निर्माण मद से 24000 रुपए स्वीकृत किए गए थे। इसके अनुसार वर्क आईडी 100794473 में देवरी पंचायत अन्तर्गत आने वाले किन्हीं दो आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय निर्माण पंचायत द्वारा कराया जाना था। इस हेतु पंचायत ने आंगनबाड़ी केंद्र देवरी एवं आंगनबाड़ी केंद्र गुरार का चयन किया था। कम से कम राशि आहरण के लिए लगे बिल तो यही कहते हैं। लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र देवरी में अब तक शौचालय निर्माण के नाम पर एक अदद ईंट भी नहीं रखी गई है, जबकि इस मद की पूरी राशि फर्जी बिल लगाकर हड़प ली गई है।
आंगनवाड़ी केंद्र गुरार में लगी सीट :-
आंगनवाड़ी केंद्र गुरार :-
वहीं गुरार ग्राम की बात करें तो यहां के आंगनबाड़ी केंद्र में भी सरपंच सचिव का भ्रष्टाचार हावी है। गुरार के आंगनबाड़ी केंद्र में पहले से बने शौचालय में ही केवल पुरानी लैट्रिन सीट हटाकर नई सीट लगाई गई है, और सीट के बेस को बनाया गया है। जबकि दीवार, छत, दरवाजा सहित पूरा शौचालय पहले का ही बना है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या 12000 की लागत से केवल लैट्रिन सीट लगती है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत की मंशा को शर्मसार करते हुए ग्राम पंचायत देवरी ने एक तो शौचालय ही नहीं बनाया तो दूसरी ओर अधबना बनाकर शासन की बहुमूल्य राशि ऐंठ ली है। कार्य किए बिना ही शासकीय केवल हड़पने के इस खेल में सचिव हरिशंकर यादव एवं सरपंच चाँदनी मरावी ने मिलकर फर्जी सामग्री बिल लगाकर पूरी 24000 की राशि तथाकथित फर्म यादव ट्रेडर्स छिरारू को भुगतान कर दी है। गौरतलब है कि उक्त फर्म यादव ट्रेडर्स सचिव हरिशंकर यादव की पत्नि लक्ष्मी यादव के नाम पर बनी है। इस प्रकार नये पैंतरे से सचिव साहब ने आंगनबाड़ी शौचालय निर्माण की पूरी शासकीय राशि स्वयं ही आहरित कर ली है। इतना ही नहीं देवरी पंचायत अन्तर्गत कथित कार्यालय व्यय के मद से अनेकों बिल लगाकर उक्त यादव ट्रेडर्स के माध्यम से शासकीय राशि सचिव स्वयं आहरित कर चुके हैं।
इस मामले के प्रकाश में आने के बाद देखना यह है कि ऐसे घोटाले पर जनपद सीईओ अखिल सहाय श्रीवास्तव एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुनील दुबे सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी क्या कदम उठाते हैं। आमतौर पर इन प्रकरणों पर अधिकारियो की अनदेखी रहने से इस प्रकार के भ्रष्टाचार होते रहते हैं। इससे न केवल शासन की बहुमूल्य जन-उपयोगी राशि का दुरुपयोग होता है, बल्कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को सीधे क्षति पहुंचती है।
इनका कहना है:-
हंसा घरड़े
(महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी, धूमा)
“आंगनबाड़ियों में शौचालय निर्माण न होने की जानकारी आप से मिली है। कल वर्किंग डे पर देवरी और गुरार आंगनबाड़ी केंद्रों से जानकारी लेंगे। उसके बाद ही कुछ कह सकते हैं।”