मप्र में शिक्षिका का अजीबो गरीब रवैया, ले रही हैं तलाक, लेकिन नहीं बन रहीं मां!
भोपाल / गरिमा श्रीवास्तव :- कहा जाता है कि किसी भी परिवार में पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने वाली कड़ी उनका बच्चा होता है। बच्चे परिवार में खुशियां बिखेरते हैं ,उनकी नन्ही किलकारियों से लोग अपने सारे दुःख भूल जाते हैं।
पर यहाँ बात कुछ और ही है , एक शिक्षिका का बच्चों से इस प्रकार मन हट चुका है कि वह तलाक देने को तैयार है ,पर बच्चे के आस में बैठे परिजनों को बच्चे आने की ख़ुशी देने को नहीं तैयार है।
आपको बता दें कि भोपाल में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसमे स्कूल के बच्चों से परेशान होकर शिक्षिका ने माँ न बनने का निर्णय लिया है।
उसका कहना है कि बच्चे दूसरों के ही अच्छे लगते हैं।
उसके पति ने जब उसे बच्चा प्लान करने के लिए मनाने की कोशिश की तो भी शिक्षिका की यही प्रतिक्रिया रही। इसीलिए पति ने शिक्षिका को तलाक देने का निर्णय ले लिया।
मामला फॅमिली कोर्ट तक पहुँच गया है ,जज ने कहा कि महिला काे मनोचिकित्सक काे दिखाइए, उसके बाद मामले पर विचार किया जाएगा। मामला कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश आर.एन. चंद की काेर्ट में विचाराधीन है।
काउंसलिंग में पता चला कि महिला दाम्पत्य जीवन का निर्वाह करने को तो तैयार है, लेकिन मां बनने के लिए नहीं।
क्या इस प्रकार से कोई औरत मासूम बच्चों से घृणा कर सकती है।
बच्चे तो नटखटपन करते ही हैं ,अगर वह पैदा होते से ही समझदार होते तो बच्चे कैसे कहलाते। औरत को सहनशीलता की मूर्ति की संज्ञा दी जाती है। पर यहां तो महिला वाक्य को गलत साबित करने को आतुर है।
काउंसलर से मुखातिब होने के दौरान महिला ने कहा कि बच्चे बस स्कूल तक अच्छे लगते हैं। उसका कहना है कि स्कूल में पढ़ने के बाद से मेरा विचार बदल गया। मैंने बच्चा न पैदा करने का सोच लिया है। महिला काउंसलर ने बताया कि वह शिक्षिका दांपत्य जीवन को निर्वाह करने को तैयार है पर बच्चा प्लान करने को नहीं।
दोनों पक्ष के परिजन को परिवार में एक बच्चा चाहिए।
महिला का पति अपने परिवार का एकलौता लड़का है। वंश को आगे बढ़ाने का हवाला देकर भी उसने पत्नी को बहुत मानाने की कोशिश की पर कोई असर नहीं हुआ।
अब दाेनाें के बीच बच्चाें काे लेकर झगड़ा तक हाेना शुरू हाे गए हैं। पत्नी तलाक देने को तैयार है, लेकिन मां बनने को नहीं। (जैसा कि पुरुष ने काउंसलर को बताया)
इस पूरे मामले में तीन दिन काउंसलिंग की गई। महिला के अंदर बच्चाें काे लेकर एक तरह की मनाेविज्ञानिक ग्रंथी बन गई है।
सभी लोग उसके मन से ऐसे विचार निकाल पाने में असमर्थ हो रहे हैं। बिखरते परिवार काे जाेड़ने के लिए जज ने पति काे कहा कि वह पत्नी काे मनोचिकित्सक काे दिखाए। अगली सुनवाई फरवरी में रखी है।