जबलपुर (सिहोरा ) : देखें video धान खरीदी में किसानो के साथ लगातार छलावा ,यहां तौल में गड़बड़ी और जमकर चल रही कमीशनखोरी

जबलपुर (सिहोरा ) : देखें video धान खरीदी में किसानो के साथ लगातार छलावा ,यहां तौल में गड़बड़ी और जमकर चल रही कमीशनखोरी
- ह्रदयनगर धान खरीदी ओपन कैप में चल रहा है कमीशनखोरों का बंदरबांट
- किसान यदि नहीं देता पैसा तो करते है धान रिजेक्ट
- यहां हर कट्टी की तूलाई, छपाई और स्टेकिंग में 8 रूपये प्रति बोरी किसानों से वसूला जा रहा है
- यदि सरकार हमसे पैसे वसूलना चाह रही है तो प्रसांगिक व्यय को कर देना चाहिए बंद
देखें video –https://fb.watch/2r8y7r0qj_/
द लोकनीति डेस्क जबलपुर (सिहोरा )
दिल्ली में बैठा किसान कृषि क़ानून को लेकर कड़ी ठंड में भी अपने हक़ के लिए बैठा है। उसे आश है आज नहीं तो कल केंद्र की मोदी सरकार उनकी बात मानेगी लेकिन ग्राउंड जीरो की तस्वीर में मध्यप्रदेश किसानों के किसान पुत्र कहे जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज कल जबलपुर दौरे में थे। वे जबलपुर के किसानो से नए कृषि बिल में समर्थन जुटाने के लिए आये हुए थे।
मुख्यमंत्री शिवराज कल रहे जबलपुर में ,फ़िर भी जबलपुर के किसानों के साथ धान ख़रीदी में होता रहा धोखा
लोकनीति टीम जब सिहोरा तहसील के ह्रदयनगर धान खरीदी ओपन कैप में पहुंची ,तो हमने कछपुरा समिति क्रमांक 1 और 2 में किसानों से बात करने की कोशिश की तो..किसानों ने बताया कि यहां धान खरीदी में जमकर कमीशन वसूल जा रहा है। यहां हर कट्टी की तूलाई, छपाई और स्टेकिंग में 8 रूपये प्रति बोरी लिया जा रहा है।
किसानों ने बोला यहां सभी के रेट है फ़िक्स
किसान की धान पास और फ़ैल करने के लिए उनसे लिए जाते है जमकर पैसै
कमिशन नहीं देने पर धान कर दी जाती है फ़ैल.
किसानों की तौल में भी भारी गड़बड़ी .
शासन के नियम है कि धान की बोरी 40 किलो 600 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए लेकिन यहां भी हमारी पिछली रिपोर्ट की तरह
41 किलो 200 ग्राम और यदि किसान एकदम सीधा हुआ तो 42 किलो भी तौल दी जाती है ।
नोट – यह सब बातें लोकनीति से किसानों ने ऑफ कैमरा में कहीं ,क्योंकि उन्हें डर था कि पोल खोलने पर उनकी धान नहीं तौली जायेगी। हमने भी उनसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं क्योंकि हम सिस्टम को समझने ही तो निकले है
लगभग पुरे मध्यप्रदेश और हर ज़िले में चल रहा कमीशनखोरों के बंदरबांट का खेल
यह खेल केवल एक सोसायटी या एक ओपन कैप में बस नहीं है लगभग जबलपुर जिले में हर केंद्र में कमीशनखोरी और पूरे मध्यप्रदेश में यह बंदरबाट चल रहा है। यहाँ छोटे अधिकारी से लेकर बड़े अधिकारियों का इसमें बकायदा हिस्सा है।
बड़े खेल में बड़ा पैसा और बड़े लोग है शामिल
यह वाकई बहुत बड़ा खेल चल रहा है। जिसका गुणा भाग लगाने के लिए यदि आप बैठे तो शायद पूरा दिन भी निकल जाएगा
किसानों का कहना है यदि सरकार हमसे पैसे वसूलना चाह रही है तो प्रसांगिक व्यय के रूप में शासन द्वारा समितियों को जो 18-20 रूपये प्रति क्विंटल दिया जाना बन्द किया जाए और प्रत्येक किसान के खातो में सरकार भेजें पैसे
वाकई यह दिल्ली में बैठे किसानों और देश के किसानो के साथ अत्यचार हो रहा है जिसे वह चुपचाप सेहन कर रहा है
क्योंकि उसके पास और कोई दूसरा चारा भी तो नहीं
धान खरीदी में लगभग यह करोड़ों का घोटाला है जिस पर स्थानीय अधिकारी और जबलपुर कलेक्टर ध्यान नहीं दे रहे