Follow Up : क्या दबंगो से इतना डर गई है जबलपुर प्रशासन की नहीं बना पा रही है सड़क ?

- गाँव में एक ही रास्ता उस पर दबंगो ने कर लिया कब्ज़ा
- प्रशासन ने नहीं की कोई करवाई
- 3 साल से आवेदन दे देकर थक गए हैं ग्रामवासी
- क्या दबंगो से डर रही है प्रशासन ?
Jabalpur News Gautam :- हमने कुछ दिनों पहले जबलपुर जिले की मझौली तहसील से एक खबर दी थी जिसके अनुसार ग्राम पंचायत बैहर कला के ग्रामवासियों का कहना था कि उनके गाँव की जो एकमात्र सड़क हैं जो ग्राम को शहर से जोड़ती हैं उस पर गाँव के दबंगो ने अपना कब्ज़ा बना लिया हैं औऱ पंचायत को पक्की सड़क बनाने से रोक रहे हैं। जिसको लेकर उन्होंने कई बार लिखित शिकायत भी दी है। डुंगरिया गांव के लोग शिकायत दर्ज कराने के बाद भी सड़क के बनने की राह देख रहे है। दबंग दावा कर रहे हैं कि वह जमीन उनकी है।
हमारे भारतीय सिनेमा में एक डायलॉग बार बार कहते सुना होगा आपने की सरकार से बड़ा कोई भी दबंग नहीं है। पर इस गाँव में यह बात झूठी साबित हो रही है। लाखों मशक़्क़त के बाद भी शाषन ने ग्रामवासियों की न सुनने की ठान ली है। या यूँ कहें की दबंगो से डर गयी है।
सभी से कर चुकें हैं शिकायत
ग्रामवासियों की माने तो उन्होंने सभी आला अफसरों यहाँ तक की विधायक जी को भी इस बारे में शिकायत दे चुकें है परन्तु अब तक कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिला है। एसडीएम , तहसीलदार से लेकर जनपद सीईओ सभी को इस बाबत लिखित आवेदन दिया जा चूका है। ग्रामवासी पिछले तीन वर्षों से अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं इस आस में की उन्हें इन्साफ मिलेगा पर अब तक किसी ने भी उनकी नहीं सुनी है। इस ग्राम में तक़रीबन 175 परिवार रहते हैं और वर्षों से इसी रास्ते का इस्तेमाल करते आये हैं पर अब दबंगो के कब्जे के बाद उनका आना-जाना दूभर हो गया है। अगर इस रास्ते का उपयोग ग्रामीण वासी करते भी हैं तब उन्हें डराया धमकाया जाता है।
द लोकनीति ने 10 जनवरी को इस मामले को उजागर किया था। जिसमें ग्रामीणों द्वारा तहसीलदार को लिखा शिकायत पत्र भी सलंग्न किया गया था। बता दें कि उस शिकायत पर प्रशासन के कानों पर अभी तक जूँ नहीं रेंगी है। सरकार द्वारा कही गयी विकास की बातें इस सड़क की तरह कच्ची-की-कच्ची दिखाई दे रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन ने दबंगों के आगे घुटने टेक दिए हैं?
हम बार बार इस मुद्दे को इसलिए उठा रहे हैं क्यूंकि सकारात्मक बदलाव लाना द लोकनीति का लक्ष्य है। और हम तब तक इस मुद्दे पर बने रहेंगे जब तक ग्रामवासियों को उनका हक़ नहीं मिल जाता।