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जबलपुर : प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहे अवैध रेत के पहाड़, बिना संरक्षण के कैसे संभव इतना स्टॉक

जबलपुर से मयंक तिवारी की रिपोर्ट : पूरे प्रदेश में महामारी का प्रकोप था, प्रशासन इतना चौकस होने का दावा करता रहा कि हर ओर पूरी निगरानी है। फिर भी शहर से सटे एक बड़े हिस्से में अवैध रेत के बड़े पहाड़ कैसे बनते रहे ये बड़ा सवाल है। एक ओर सीएम खुद बोल रहे कि अगर रेत का एक डम्पर भी अवैध दिखा तो सख्ती होगी दूसरी ओर हजारों डम्पर अवैध रेत के पहाड़ प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहे हैं। पूरे मामले में मायनिंग विभाग पर सबसे अधिक संदेह है जिसे लेकर जिले के आला अधिकारियों को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।

प्रभारी मंत्री को लेना चाहिए संज्ञान

नर्मदा से अवैध रेत के खनन को रोकने और दोषियों पर सख्ती दिखाने के निर्देश जिले के प्रभारी मंत्री कई बार दे चुके हैं। इसके बाद भी यदि खुलेआम सरकारी भूमि पर अवैध रेत के पहाड़ खड़े हैं तो ये शासन और प्रशासन दोनों के लिए उचित नहीं है।

१२ से १५ हजार गाड़ी का अवैध स्टॉक

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अवैध स्टॉक १२ से १५ हजार डम्परों का बताया जा रहा है। यदि ये सही है इतना बड़ा स्टॉक अवैध है तो इसे लेकर सख्ती तत्काल दिखनी ही चाहिए। जानकार सूत्रों की मानें तो अवैध स्टॉक करने वालों ने सरकारी भूमि का उपयोग इस अवैध कार्य के लिए किया है जो कि मौके के पटवारी से लेकर एसडीएम तक सभी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है।

इन स्थानों में मिल जाएंगे पुख्ता प्रमाण

– नीमखेड़ा से बिलपठार रेलवे गेट तक।

– रिलाइंस पेट्राल पंप के पास २० हजार फीट की परमीशन डबल स्टॉक रखा है।

– कूडऩ भेड़ाघाट में बड़ी मात्रा में अवैध स्टॉक।

– मनखेड़ी में सड़क बनाने वाले के प्लांट के पास भी स्टॉक।

चोर-चोर मौसेरे भाई

सबसे बड़ा सवाल ये है कि कोई भी वैध और अवैध कार्य बिना स्थानीय नेताओं की जानकारी के करना संभव नहीं है। लिहाजा ये समझ के परे है कि स्थानीय नेताओं ने चाहे वे सत्ता के हों या विपक्ष के इस पर अभी तक आवाज क्यों नहीं उठाई।

जान का खतरा कौन बोले साहब

पूरे मामले में स्थानीय लोगों से भी हमने बात की पर सभी का कहना था बड़े लोगों का मामला है हम कुछ नहीं बोल सकते। पिछले दिनों रेत के अवैध उत्खनन को लेकर कई बड़ी वारदातें हो चुकी है जो अपने आप में लोगों के दिलों में भय भरने के लिए काफी है। सवाल ये है कि प्रशासन और पुलिस को पूरी जानकारी होने के बाद भी अभी तक सख्ती क्यों नहीं हुई और यदि प्रशासन और पुलिस पूरे मामले से अनभिज्ञ है तो उनके सूचना तंत्र पर सवाल खड़े होते हैं।

कार्रवाई का इंतजार

पूरे मामले में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा को फोन से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर शायद वे कहीं व्यस्त थे लिहाजा फोन नहीं उठा जाए। जिले की जिम्मेदारी है हम उनकी मजबूरी समझ सकते हैं। इसलिए हमने उन्हें वॉटसअप पर पूरे प्रमाण और स्थानों के नाम का संदेश भेज दिया है। हमें आशा है कि जैसा सख्त रवैया वे अवैध कार्य करने वालों पर करते हैं इस मामले में भी उनकी वही कार्यशैली देखने मिलेगी।

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