गणित दिवस विशेष:- गणितज्ञ रामानुजन ने कहा था "मेरे लिए गणित के उस सूत्र का कोई मतलब नहीं हैं जिससे मुझे आध्यात्मिक विचार न मिले हों"

गणित दिवस विशेष:- गणितज्ञ रामानुजन ने कहा था “मेरे लिए गणित के उस सूत्र का कोई मतलब नहीं हैं जिससे मुझे आध्यात्मिक विचार न मिले हों”
२२ दिसंबर, १८८७ को तमिलनाडु राज्य के कोयंबतूर शहर के छोटे से गांव में श्रीनिवास अय्यंगर रामानुजन का जन्म हुआ था। वे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभावान के थे। रामानुजन को प्रश्न पूछना बहुत पसंद था। उनके प्रश्न अध्यापकों को कभी कभी बहुत अटपटे लगते थे। जैसे कि; संसार में पहला पुरुष कौन था ? पृथ्वी और बादलों के बीच की दूरी कितनी होती हैं ? विद्यालय छोड़ने के बाद का पांच वर्षों का समय उनके लिए बहुत हताशा भरा था। उनका ईश्वर पर अटूट विश्वास और गणित के प्रति अगाध श्रद्धा ने उन्हें कर्तव्य मार्ग पर चलने के लिए सदैव प्रेरित किया। नामगिरी देवी रामानुजन के परिवार की ईष्ट देवी थी। उनके प्रति अटूट विश्वास ने उन्हें कहीं रुकने नहीं दिया और वे इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी गणित के अपने शोध को चलाते रहे। इस समय रामानुजन को ट्यूशन से कुल पांच रूपये मासिक मिलते थे और इसी में गुजारा होता था।
रामानुजन का यह जीवन काल बहुत कष्ट और दुःख से भरा था। इनका गिरता स्वास्थ्य सबके लिए चिंता का विषय बन गया और यहां तक की अब डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था। अंत में रामानुजन के विदा की घड़ी आ ही गई और २६ अप्रैल, १९२० के प्रातः काल में वे अचेत हो गए और दोपहर होते होते उन्होने प्राण त्याग दिए। इस समय रामानुजन की आयु मात्र ३३ वर्ष थी। इनका असमय निधन गणित जगत के लिए अपूरणीय क्षति था। पूरे देश विदेश में जिसने भी रामानुजन की मृत्यु का समाचार सुना, वहीं स्तब्ध हो गये।
इन्हें आज के टेक्नोलॉजी और आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। उन्होंने अपनी प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत आविष्कार किए और भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया। उन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के ३८८४ प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं। इन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारम्परिक परिणाम निकाले जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रही है। तदापि इनकी कुछ खोजों को गणित मुख्यधारा में अब तक नहीं अपनाया गया है। हाल में इनके सूत्रों को क्रिस्टल विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है। इनके कार्य से प्रभावित गणित के क्षेत्रों में हो रहे काम के लिये ” रामानुजन जर्नल ” की स्थापना की गई है।
कुछ प्रसिद्धियां -:
१. लैंडॉ रामानुजन स्थिरांक
२. रामानुजन सोल्डनर स्थिरांक
३. रामानुजन थीटा फलन
४. रॉजर्स रामानुजन तत्समक
५. रामानुजन अभाज्य
६. कृत्रिम थीटा फलन
७.रामानुजन योग
वे हंमेशा कहते थे;
” मेरे लिए गणित के उस सूत्र का कोई मतलब नहीं हैं जिससे मुझे आध्यात्मिक विचार न मिले हों “
उनके जन्मदिन को ” राष्ट्रीय गणित दिवस ” के रूप में मनाया जाता है।