अर्थव्यवस्था/ आईएमएफ ने भारत की ग्रोथ रेट फिर घटाई, चिदंबरम ने कहा: "आईएमएफ और गीता" मोदी के हमले के लिए तैयार रहें
- आईएमएफ(imf) लगातार 9वीं एजेंसी है जिसने भारत(india) की ग्रोथ रेट कम किया है
- वर्तमान वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ रेट 4.8% रहने का अनुमान व्यक्त किया है
- गीता गोपीनाथ आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने नोटबंदी(demonetization) की सबसे पहले आलोचना कीं थीं
नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष(imf) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए, एक बार फिर भारत की जीडीपी(gdp) को घटाकर 4.8% कर दिया है। आईएमएफ ने अनुमान जताया है कि भारत की ग्रोथ रेट 1.3% घटकर 4.8% रह सकती है। अनतर्राष्ट्रीय मंदी को देखकर यह अनुमान लगाया गया है। पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस के नेता चिदंबरम ने सरकर को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि अब आईएमएफ और गीता गोपीनाथ को मोदी और उनके समर्थकों के हमले के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर ग्रोथ रेट(growth rate) इससे भी निचे गिर जाये तो, क्योंकि जो आर्थिक से सम्बंधित गलत नीतिया बनायीं गयीं हैं ये उसी का परिणाम है।
“हालांकि गीता ने ये भी कहा कि जो कार्पोरेट टैक्स दर में कटौती की गयी है उससे अगले वर्ष सार्थक ग्रोथ दिख सकती है।”
एजेन्सी पिछला अनुमान मौजूदा अनुमान
आईएमएफ 6.1% 4.8%
फिच 5.6% 4.6%
एसबीआई 5% 4.6%
आईएमएफ लगातार 9 वीं एजेंसी है जिसने भारत की जीडीपी ग्रोथ कम किया है। एसबीआई और फिच ने भारत की ग्रोथ रेट सबसे कम बतायी है, उसके अनुसार इस वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 4.6% रहने का अनुमान है। आईएमएफ ने ग्लोबल ग्रोथ को भी 3% से घटाकर 2.9% कर दिया है।
ग्रोथ रेट कम होने के क्या असर पड़ेंगे
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां लगातार भारत की जीडीपी में कटौती कर रहीं हैं लेकिन इस पर ध्यान हमारी सरकार नहीं दे रही है, सरकार धर्म, जातिवाद, स्टेशन का नाम चेंज और नगर का नाम चेंज करने में लगी है। किसी भी अर्थशास्त्री को ये समझ नहीं आ रहा है कि आखिर ये सरकार करना क्या चाहती है जितने भी वर्ल्ड फेमस(world famous) अर्थशास्त्री हैं सबने नोटबंदी का विरोध किया था परन्तु अपनी जिद में सरकार ने नोटबांडी की, जिसकी वजह से “मनी फ्लो” बंद हो गया और हजारों छोटे उद्योग बंद हो गए, फिर भी सरकार को समझ नहीं आया, इसके तुरंत बाद बिना प्लानिंग के जीएसटी(gst) लाया गया और उसमे भी कभी संतुलन नहीं दिखा। अब जब सारी एजेंसियां भारत की आर्थिक स्थिति को कमजोर दिखा रहीं हैं तो यहां राजनीति कर रहे नेता कहते हैं भारत में कोई मंदी नहीं है। इनको शायद धर्म और जातिवाद या हिंसा भड़काने के आलावा कुछ नहीं दिख रहा। आंखे खोलकर देखिये कि देश की जीडीपी कहाँ जा रही है, बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, सरे सेक्टरों में गिरावट दर्ज की जा रही है। राजनीति का चस्मा उतार कर देखिये तो देश की हालत दिख जाएगी की हम आर्थिक दृस्टि से बुरी स्थिति में फंसते जा रहे हैं।