IAS का नवाचार: जब आदिवासी गांव में पहुंच गया एसडीएम कार्यालय !
द लोकनीति के लिए मैहर से सैफ़ी खान की रिपोर्ट
सतना/मैहर : पन्ना जिले की सीमा से लगे नागौद तहसील के दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य गांव मोटवा के निवासी शनिवार को भौचक थे। वजह थी उनके गांव में एसडीएम कार्यालय लगा हुआ था और उनकी समस्याओं का तत्काल निराकरण हो रहा था। निराकरण सिर्फ कागजों पर ही नहीं बल्कि हितलाभ उन्हें हाथों-हाथ मौके पर मिल रहा था। माध्यमिक विद्यालय मोटवा में लगाए गए कम्प्यूटर प्रिंटर से तत्काल जाति प्रमाण पत्र निकाले जा रहे थे, तो राजस्व अमला तुरंत ऋण पुस्तिका तैयार करके बाँटा जा रहा था। मौके पर मौजूद सरपंच से प्रमाणीकरण के बाद सजरा खानदान तैयार कर फौती नामांतरण की पूरी कार्रवाई भी मौके पर हो रही थी | स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को भी हाथों-हाथ जाति प्रमाण पत्र बना कर दिये जा रहे थे। यह सब हो रहा था भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी दिव्यांक सिंह के नवाचार 'गांव में मोबाइल कार्यालय' से।
अब तक जिला प्रशासन की ओर से समय समय पर समस्या निवारण शिविर लगाए जाते थे। जिसमें समस्याएं सुनी जाती थी और मौके पर निराकरण का दावा भी किया जाता था। मगर अफ़सरशाही में समस्या खुद में एक समस्या बनकर सिमट जाती थी |
…और कार्यालय ही ले गए गांव
नागौद एसडीएम दिव्यांक सिंह ने इससे इतर नवाचार करते हुए पूरा एसडीएम कार्यालय को ही गांव में ले जाकर रख दिया। साथ ही तहसीलदार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास का अमला, राजस्व का मैदानी अमला, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग का अमला भी मौजूद रहा। इन सबके साथ ही कम्प्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर भी ले जाए गए। जिसके बाद शुरू हुआ ग्रामीणों की समस्याओं की सुनावाई का सिलसिला। शाम तक यहां 40 लोगों को जाति प्रमाण पत्र वितरित किये जा चुके थे। दो दर्जन से ज्यादा ऋण पुस्तिकाओं का वितरण हाथों हाथ किया गया। बी-1 मौके पर पढ़ कर सुनाया गया। गैर विवादित फौती नामांतरण की पूरी प्रक्रिया भी मौके पर की गई। सरपंच से सजरा खानदान मौके पर बनवाया। तहसीलदार से आवश्यक प्रक्रिया पूरी करवाई गई और प्रकरण दर्ज किया गया। सारी कागजी प्रक्रियाएं पूरी की गईं। अब 15 दिन के अंदर इनके फौती नामांतरण भी पूरे हो जाएंगे।
स्कूल में बच्चों की पंजी देखी गई
स्कूल में पढऩे वाले बच्चे जिनके जाति प्रमाण पत्र नहीं बने थे, उनकी विद्यालय की पंजी देखी गई। माता पिता से दस्तावेज लिये गये। अन्य खानापूर्ति की गई और मौके पर ही स्कूल में बच्चों को जाति प्रमाण पत्र भी वितरित कर दिये गये। मोटवा गांव सतना जिले की सीमा का आखिरी गांव है जो पन्ना जिले की सीमा से लगा हुआ है। यहां आने जाने का कोई सीधा रास्ता नहीं है। यहां कोई बस भी नहीं आती है । आज भी यह आवागमन की सीधी सुविधा से कटा हुआ है। दूरस्थ अंचल के सुविधा विहीन इस गांव में जिस तरीके से समस्याओं का मौके पर निराकरण हो रहा था और परिणाम हाथ में दिख रहा था उसे देख ग्रामीण दंग थे। इस दौरान रोड, बिजली, पानी सहित अन्य समस्याएं जिनका तत्काल निराकरण संभव नहीं था उनके भी आवेदन लिये गए। इन्हें समय सीमा के अनुसार निराकरण करने का निर्णय लिया गया है।
हर सप्ताह चलेगा यह प्रयोग
एसडीएम दिव्यांक सिंह ने बताया कि यह नवाचार हर सप्ताह चलेगा। एक सप्ताह नागौद और एक सप्ताह उचेहरा तहसील के उन दूरस्थ गांवों में चलाया जाएगा जहां से लोगों का आना जाना सहज नहीं है और दूरस्थ इलाके के सुविधाविहीन गांव हैं।